मिली जानकारी के मुताबिक, महिला की छह बार एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी है और पांच स्टेंट लगाये गए है। जबकि एक बार हार्ट की बाईपास सर्जरी भी हुई है। मुलुंड की रहने वाली 51 वर्षीय सुधा (बदला हुआ नाम) ने कहा, ”मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं कि मुझे कौन सी समस्या है। और अगले तीन महीनों में क्या फिर से मेरी रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज हो जाएगा।”
सितंबर 2022 में सुधा जब जयपुर से बोरीवली ट्रेन से आ रहीं थी तो पहला दिल का दौरा पड़ा था। तब रेलवे पुलिस की मदद से उन्हें अहमदाबाद के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां से फिर सुधा को परिजन मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल लेकर आये, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी हुई।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. हसमुख रावत ने कहा, “सुधा की हृदय समस्या का कारण एक रहस्य बना हुआ है।” डॉ. रावत ने सुधा की दो बार एंजियोप्लास्टी और एक बार बाईपास सर्जरी की हैं और जुलाई से उनकी ही निगरानी में सुधा का इलाज चल रहा है।
डॉक्टरों व विशेषज्ञों का मानना है कि वास्कुलिटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों में रक्त वाहिकाएं (खून की नसें) सूज जाती हैं और संकीर्ण हो जाती हैं। लेकिन टेस्ट से अभी तक स्पष्ट निदान नहीं मिल पाया है।
सुधा ने बताया कि उन्हें फरवरी, मई, जुलाई और नवंबर में हार्ट अटैक आया था। महिला लंबे समय से डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे से पीड़ित है। सितंबर 2022 में उनका वजन 107 किलो था। तब से उन्होंने अपना वजन 30 किलो से ज्यादा कम किया है।