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मुंबई

करोड़ों बकाए पर आखिर कौन सी रणनीति अपना रहा म्हाडा ?

म्हाडा ( Mhada ) पर ट्रांजिट कैम्पों ( Transit camps ) में रहने वालों का करोड़ों बकाया, बकाया राशि वसूलने ने विभिन्न प्रयत्नों ( Efforts ) में जुटा म्हाडा प्रशासन ( MHADA Administration ), म्हाडा मूल निवासियों से 500 तो घुसपैठियों ( Intruders ) से 3000 रुपये लेती है शुल्क, वर्षों से बढ़ता जा रहा बकाया ( Outstanding )

मुंबईSep 24, 2019 / 11:12 am

Rohit Tiwari

करोड़ों बकाए पर आखिर कौन सी रणनीति अपना रहा म्हाडा ?

करोड़ों बकाए पर आखिर कौन सी रणनीति अपना रहा म्हाडा ?

रोहित के. तिवारी
मुंबई. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में म्हाडा के ट्रांजिट कैम्पों में वर्षों से अवैध रूप से रहने वाले घुसपैठियों और किराए पर रहने वाले निवासियों का बकाया अब 110 करोड़ तक पहुंच गया है। वर्षों से बकाया चला आ रहा यह आंकड़ा अब अरबों में पहुंच गया है। म्हाडा के मूल निवासियों के लिए 500 रुपये और ट्रांजिट में अवैध रूप से रहने वालों से 3 हजार रुपये शुल्क लेता है। वहीं मूल निवासियों या किरायेदारों की ओर से पैसे का भुगतान नहीं किया जाता है, जिसके चलते म्हाडा अब बकाया राशि की वसूली के लिए विभिन्न तरह के संघर्ष कर रहा है। इसके लिए म्हाडा ने अब ऑनलाइन विकल्प के जरिए बकाया राशि की वसूली का अभियान शुरू किया है।
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करोड़ों बकाए पर आखिर कौन सी रणनीति अपना रहा म्हाडा ?
नियमित किराया देने वाले हैं बहुत कम…
विदित हो कि कई स्थानों पर मूल निवासियों के बजाय किरायेदारों को ट्रांजिट कैम्प दिए गए थे। वहीं कई जगहों पर एक से अधिक किराएदार रखे गए थे, लेकिन मूल निवासियों के साथ-साथ किरायेदारों की ओर से म्हाडा का शुल्क भुगतान नहीं किया गया है। इसी वजह से वर्षों से बकाया राशि बड़ी संख्या में बढ़ रही है। म्हाडा ट्रांजिट शिविरों से केवल 15 प्रतिशत बकाया ही वसूल किया जाता है, इसमें नियमित किराएदारों का अनुपात बहुत कम है। म्हाडा के पास ट्रांजिट कैंप में रहने वाले 22 हजार किरायेदार हैं, लेकिन उनमें से नियमित किराया देने वाले किराएदार बहुत कम हैं।
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रहिवासियों को मिलेगा भुगतान करने का विकल्प…
बहरहाल, वर्तमान में म्हाडा की ओर से ई-बिलिंग सॉफ्टवेयर निवासियों और किरायेदारों को सहूलियत के लिए लॉन्च किया गया है, ताकि ट्रांजिट कैम्पों के रहिवासियों को शुल्क भरने में आसानी हो सके। इनके तहत आने वाले दिनों में किरायेदारों के क्षेत्र में बैंक के माध्यम से निवासियों को सेल्फ किऑस्क मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी, जो किरायेदारों और निवासियों को किराए के साथ-साथ नकद और निवास पर चेक का भुगतान करने का विकल्प प्रदान करेगा। वहीं म्हाडा अधिकारियों की मानें तो स्टाफ की कमी के चलते रहिवासियों से वसूली में कमी आई है।इसीलिए ऑनलाइन के माध्यम से वसूली बढ़ाने का यह अनूठा प्रयास है।
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सायन में मिला अच्छा प्रतिसाद…
वर्तमान किराया कलेक्टर के पास एक से अधिक स्थानों के पारगमन शिविर को पुनर्प्राप्त करने की जिम्मेदारी है। बस यही कारण है कि इस तरह के ऑनलाइन विकल्प से अधिकतम वसूली करने का उद्देश्य है। इसके लिए म्हाडा ने भुगतान गेटवे के लिए आईडीएफसी बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अब तक प्रयोगात्मक तौर पर ई-बिलिंग के लिए सायन में एक प्रयोग किया गया था। वहीं करीब 5500 लोगों के लिए किये गए इस प्रयोग को बेहतर प्रतिसाद मिला है। इसी के मद्देनजर अब बोरीवली और कोलाबा क्षेत्र में ट्रांजिट कैंप के निवासियों और किरायेदारों के लिए यह प्रयोग लागू किया गया है।
– सतीश लोखंडे, सीओ, आरआर बोर्ड म्हाडा

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