
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे (Photo: FB)
मराठी भाषा के मुद्दे पर पिछले महीने एक मंच पर आए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की राजनीतिक नजदीकियां अब गठबंधन में बदलने की ओर बढ़ रही हैं। महाराष्ट्र में कुछ महीनों बाद होने वाले स्थानीय और नगर निकाय चुनाव में दोनों पार्टियां एक साथ उतरने की तैयारी में हैं। नासिक में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और सांसद संजय राउत ने साफ कहा कि मुंबई महानगरपालिका का चुनाव (BMC Election) तो हम साथ लड़ेंगे ही, इसके अलावा ठाणे (TMC Election), कल्याण-डोंबिवली (KDMC Election), नासिक (NMC Election) समेत कई अन्य शहरों की महापालिका चुनाव में भी हमारी संयुक्त ताकत दिखेगी।
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, “उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की ताकत मराठी लोगों की एकता की ताकत है। अब कोई भी अघोरी शक्ति मराठी मानुष की इस वज्रमूठ को तोड़ नहीं सकेगी।” उन्होंने संकेत दिया कि कई महानगरपालिकाओं में गठबंधन को लेकर उद्धव की शिवसेना (उबाठा) और राज ठाकरे की मनसे के बातचीत जारी है।
शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे के गठबंधन पर बोलते हुए संजय राउत ने कहा, "मुंबई महानगरपालिका चुनाव दोनों भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे मिलकर जीतेंगे। नासिक में भी हम साथ लड़ेंगे। इसके अलावा ठाणे, कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका चुनाव भी हम मिलकर लड़ेंगे। ऐसी कई महानगरपालिकाएं हैं जहां हमारे साथ लड़ने पर बातचीत चल रही है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की ताकत, मराठी मानुष की एकजुटता की ताकत है। अब कोई भी ताकत आए, मराठी मानुष की इस वज्रमूठ को तोड़ नहीं सकती।"
पत्रकारों से बातचीत में संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी, भुखमरी, कानून-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे हैं। 79 साल में देश ने निश्चित रूप से प्रगति की है और इसका श्रेय हर प्रधानमंत्री को जाता है। जब देश को आजादी मिली थी, तब यहां सुई-धागा भी नहीं बनता था। आज वही भारत देश अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ चुका है।
उन्होंने कहा, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब 75 साल के हो जाएंगे और देश की आजादी 79 साल की हो गई है। कुछ लोगों को लगता है कि देश 2014 में आजाद हुआ, लेकिन हकीकत में 2014 के बाद देश पिछड़ गया। हर प्रधानमंत्री ने कुछ न कुछ योगदान दिया है। भाजपा का दस सालों में यही योगदान है कि यह देश धार्मिक था, लेकिन उन्होंने इसे कट्टर बना दिया है। यह कट्टरता इस देश में जातीय और धार्मिक विभाजन पैदा कर रहा है। यह देश की आजादी के लिए बहुत खतरनाक है।
बीते कुछ महीनों में दोनों भाइयों के बीच रिश्तों में आई गर्मजोशी साफ देखी गई है। हिंदी भाषा पढ़ाने से जुड़े शासन निर्णय (जीआर) को वापस लिए जाने के बाद दोनों लगभग 20 साल बाद एक ही मंच पर नजर आए थे। इसके कुछ दिनों बाद राज ठाकरे ने मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएं दी थीं, जिससे दोनों के रिश्तों में बढ़ती नजदीकियों की पुष्टि हुई।
करीब बीस साल पहले शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने मनसे की स्थापना की थी। तब से दोनों दलों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बनी रही। लेकिन मौजूदा सियासी समीकरणों को देखकर ठाकरे भाई करीब आये। इसका प्रमुख कारण मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) बताया जा रहा है। दरअसल महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों, 248 नगर परिषदों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव इस वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में हो सकते है।
बता दें कि 2012 में मनसे ने बीएमसी चुनाव में दमदार प्रदर्शन किया था। तब राज ठाकरे की पार्टी ने 28 सीटें जीतकर अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे ने नेतृत्व वाली शिवसेना के कई गढ़ों में सेंध लगाई थी। लेकिन 2017 के मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में पार्टी को बड़ा झटका लगा और मनसे के प्रत्याशी केवल सात सीटों पर ही जीत सके। उसके बाद से लगातार पार्टी का ग्राफ गिरता गया। वर्तमान में 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में मनसे का कोई विधायक नहीं है। दूसरी ओर पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में उद्धव सेना ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उसके चंद महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में महज 20 सीटें जीत सकी।
Updated on:
15 Aug 2025 05:42 pm
Published on:
15 Aug 2025 05:41 pm
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