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Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे के बगावत से खतरे में MVA का अस्तित्व? सीटों के गणित से समझे उद्धव ठाकरे की सरकार का हाल

महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक तूफान के बीच फिलहाल सभी के मन में एक ही सवाल है कि यदि शिवसेना के बागी विधायक नहीं मानें तो उद्धव ठाकरे की सरकार बचेगी या नहीं। महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे करीब 25 विधायकों को लेकर सूरत के ले मेरिडियन होटल में मौजूद है। जहां उनके बीजेपी नेताओं के संपर्क में भी होने की सूचना है। यदि अभी के हिसाब से बात करें तो एमवीए की सरकार पर संकट के बादल साफ नजर आ रहे है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jun 21, 2022

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मुंबई: शिवसेना के बागी विधायक नहीं मानें तो क्या उद्धव ठाकरे की सरकार बचेगी? महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक तूफान के बीच फिलहाल सभी के मन में यह सवाल सबसे पहले आ रहा है। महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे करीब 25 विधायकों को लेकर सूरत के ले मेरिडियन होटल में मौजूद है। जहां उनके बीजेपी नेताओं के संपर्क में भी होने की सूचना है। यदि अभी के हिसाब से बात करें तो एमवीए की सरकार पर संकट के बादल साफ नजर आ रहे है।

288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में जादुई नंबर 144 है, जबकि वर्तमान में कुल 287 विधायक है। मुंबई के शिवसेना विधायक रमेश लटके का हाल ही में निधन हो गया। एमवीए-बीजेपी के अलावा, निर्दलीय या छोटे दलों के विधायकों का एक महत्वपूर्ण 29-मजबूत समूह है जो सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं। यह भी पढ़ें-Maharashtra Politics: उद्धव सरकार के साथ हो गया खेला! जानें शिवसेना MLA एकनाथ शिंदे के साथ कौन-कौन से विधायक हुए गायब

एमवीए में शिवसेना (55), राकांपा (53) और कांग्रेस (44), और छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से, सत्तारूढ़ गठबंधन के पास लगभग 169 विधायक हैं।

बीजेपी के पास 106 हैं, साथ ही छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है जो लगभग 114 की ताकत प्रदान कर रहा है। बाकी पांच किसी से भी जुड़े हुए नहीं हैं। अगर एकनाथ शिंदे के खेमे के दो दर्जन से ज्यादा विधायक बीजेपी के समर्थन में आते है तो वह सत्ता के बेहद करीब पहुंच सकती है.

शिवसेना विधायक शिंदे कथित तौर पर करीब 25 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में डेरा डाले है, जिसने एमवीए के अस्तित्व पर एक सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। हालांकि शिवसेना ने अभी हार नहीं मानी है और अपने असंतुष्ट नेताओं को मनाने का भरसक प्रयास कर रही है। इस बीच शिवसेना के साथी दलों- एनसीपी और कांग्रेस ने इसे शिवसेना का आतंरिक मामला बताया है।

अक्टूबर 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश के बाद, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महा विकास अघाड़ी बनाई। इसके बाद से ही सत्तारूढ़ एमवीए और बीजेपी दोनों पिछले 30 महीनों से अपने-अपने खेमे को 'नंबर गेम' से मजबूत करने में जुटे हुए हैं।

यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि लगभग ढाई साल के कार्यकाल में कई मौकों पर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव खुलकर सामने आया। ऐसे में अब सवाल यही है कि यदि उद्धव सरकार गिरती है तो क्या भविष्य में ये तीनों राजनीतिक दल एक साथ आएंगे। हालांकि यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा।