
रामलीला- पूर्व जन्म में यह थीं मां सीता, उन्हाेंने दिया था रावण के नाश का कारण बनने का श्राप
शामली। कैराना नगर के गौशाला भवन में चल रहे श्रीरामलीला महोत्सव के दूसरे दिन रावण व वेदवती संवाद की लीला का मंचन किया गया। गौशाला भवन में आयोजित श्रीरामलीला मंचन के दौरान कलाकारों ने दर्शाया कि रावण जंगलों में घूम रहा था। इस बीच उसकी नजर एक सुंदर कन्या पर पड़ती है, जिसे देख कर वह मोहित हो जाता है। रावण उसको अपने वश में करने के लिए हरसंभव प्रयास करता है, लेकिन विष्णु भगवान की भक्त वेदवती रावण की बातें नहीं मानती है। जिस कारण रावण उसके शरीर को स्पर्श कर देता है। इससे क्रोधित होकर वेदवती सती हो जाती हैं और रावण को श्राप देती हैं कि वह मिथिलापुरी से दोबारा जन्म लेंगी और रावण के नाश का कारण बनेंगी।
हल चलाते समय मिला घड़ा
मंचन के दौरान दिखाया गया कि मिथिलापुरी के राजा जनक जब अपनी पत्नी के साथ हल चलाते होते हैं, तो एक घड़े से सीता का जन्म होता है। इसके बाद रावण जिस समय कैलाश पर्वत से गुजर रहा होता है तो नंदी गण उसे रोकते हैं। वे उसे समझाते हैं कि यह शंकर भगवान का कैलाश पर्वत है। उनकी अनुमति के बिना इस कैलाश पर्वत से पक्षी भी नहीं गुजरते हैं। लेकिन रावण नंदी की बात नहीं मानता है और उन्हें कैलाश पर्वत को उखाड़ फेंकने की चेतावनी देता है। जब रावण कैलाश पर्वत को उखाड़ने का प्रयास करता है तो पर्वत हिलता भी नहीं है। इसके बाद रावण भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है और क्षमा याचना करता है।
भगवान शिव ने रावण को दिया चंद्रहास
इसके बाद भगवान शिव रावण की पूजा से प्रसन्न होकर उसे चंद्रहास नामक खड़ग देते हैं। वह यह भी बताते हैं कि जिस दिन तू इस खड़ग की पूजा नहीं करेगा, वह दिन तेरे जीवन का अंतिम दिन होगा। इसके उपरांत रावण का दरबार सजाया जाता है। वहां पर रावण अपने पुत्र मेघनाद को ऋषि, मुनि आदि से कर वसूलने के लिए आदेश देता है। इसके बाद मेघनाद सबसे पहले काल को पकड़ कर लाता है। मेघनाद द्वारा ऋषि-मुनियों से जो कर वसूला जाता है, उसे मिथिलापुरी में दबा दिया जाता है, जिससे सीता का जन्म होता है। मंचन के दौरान रावण का अभिनय शगुन मित्तल, वेदवती का शिवम गोयल, मारीच का ऋषिपाल गण, भगवान शिव का सोनू मित्तल ने किया।
Published on:
08 Oct 2018 04:18 pm
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