
मुजफ्फरनगर. जिले में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों में 65 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग घरों से बेघर हो गए थे। इस दौरान दंगा पीड़ितों ने दंगाईयों पर केस दर्ज कराए थे साथ ही पुलिस प्रशासन ने भी अपनी तरफ से दंगा भड़काने व भड़काऊ भाषण देने के मामले में आधा दर्जन से ज्यादा केस दर्ज किए थे, जिसमें कई बीजेपी विधायकों सांसदों व मंत्रियों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन, अब भाजपा सरकार ने इन मुकदमों को वापस लेने की कवायद शुरू कर दी है, जिसको लेकर शासन ने मुजफ्फरनगर के डीएम व एसएसपी को पत्र भेजकर 131 केस वापस लेने की राय मांगी है। हालांकि इन मुकदमों की वापसी पर विपक्षियों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि अगर केस वापस होते हैं तो सभी के होने चाहिए।
बसपा नेता एवं पूर्व सांसद कादिर राणा जो कि दंगों के आरोपी है उनका कहना है कि अगर मुकदमे वापस होने हैं तो सभी के हों, केवल नेताओं के खिलाफ मुकदमों को वापस नहीं किए जाए। वहीं सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने भी मुकदमा वापसी की प्रक्रिया को लेकर कहा कि यह केवल भाजपा की 2019 की तैयारी मात्र है और मुकदमे वापस लेने का यह तरीका सही नहीं है। अगर मुकदमे वापस लेने हैं तो दोनों पक्षों से बात करके दंगों के मुकदमों के की वापसी की जाए। उन्होंने कहा कि शासन रिपोर्ट मंगाकर प्रस्तावित कर सकता है। यह निर्णय न्यायपालिका को लेना है, क्योंकि ये सभी मुकदमे न्यायपालिका में विचाराधीन हैं। अंतिम निर्णय न्यायपालिका का होता है, जिसमें स्थानीय प्रशासन का कोई सीधा दखल नहीं है। जहां तक मुकदमे वापस लेने की बात है तो भाजपा 2019 में होने वाले चुनाव को देखते हुए झूठी तसल्ली के लिए कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि मैं भी चाहता हूं समाज में शांति स्थापित हो, भाईचारा स्थापित हो। हमारा जिला शांति में आगे बढ़े, जो बदनामी हुई वह जानबूझकर कुछ भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने कराई थी।
यह है पूरा मामला
दरअसल, मुजफ्फरनगर में 7 सितम्बर 2013 में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें 5 दर्जन से ज्यादा लोगों की हत्या हो गयी थी और हजारों लोगों को अपने घरों से बेघर होकर कैम्पों में रहना पड़ा था। आपको बता दें कि दंगे से पहले 31 अगस्त को सिखेड़ा थाना क्षेत्र के गांव नंगला मंदौड़ में एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमे बीजेपी सांसद संजीव बालियान , कुंवर भारतेंदु सिंह, गन्ना मंत्री सुरेश राणा, बीजेपी विधायक कपिल देव अग्रवाल, संगीत सोम , उमेश मलिक और विहिप नेत्री साध्वी प्राची सहित सैकड़ों भाजपा नेताओं ने भाग लिया था। इस पंचायत के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन सहित कई गम्भीर धाराओं में सभी नेताओं पर मुकदमे दर्ज कर दिये थे। इस पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में 7 सितम्बर को दंगे भड़क गए थे। अब सरकार ने 131 मुकदमे वापसी के लिए मुजफ्फरनगर प्रशासन से आख्या मांगी है। इन मुकदमों में लगभग 840 लोगों को आरोपी बनाया गया था। खाप चौधरियों व बीजेपी सांसद संजीव बालियान व बीजेपी विधायक उमेश मलिक ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलकर मुकदमों को खत्म कर राहत देने के लिए अर्जी लगाई थी। अब सरकार भी इन मुकदमों को खत्म करने की कवायद में जुट गई है।
इस पूरे मामले में एडीएम प्रशासन हरीश चंद्र ने बताया कि सरकार द्वारा हमे कई पत्र भेजकर लगभग सवा सौ से ज्यादा मुकदमों में आख्या मांगी गई है। इन मुकदमो में सभी धाराओं जैसे 144, 323, 307 सहित कई संगीन धाराओं के मुकदमे भी हैं। जिन्हें लेकर डीजीसी से कुछ मुकदमों में जानकारी मांगी गई है और कुछ में पुलिस से आख्या मांगी है, जो अभी तक नही आई है। वहीं एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि एक पत्र आया है, जिसमें 13 बिंदु हैं। उनकी समीक्षा करके एक रिपोर्ट देनी है। विश्लेषण किया जा रहा है जैसा भी उसमें होगा वैसे ही रिपोर्ट दी जाएगी।
Published on:
23 Mar 2018 11:31 am
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