
National Highway Authority changed the place of toll plaza in Nagaur
नागौर. राष्ट्रीय राजमार्ग-65 के सालासर-नागौर सेक्शन के चौड़ाईकरण एवं पुनर्निर्माण कार्य में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआई) ने मनमर्जी से टोल प्लाजा की जगह बदल दी। निचले स्तर के अधिकारियों ने केन्द्र सरकार एवं उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर न केवल टोल प्लाजा का स्थान बदला है, बल्कि टोल के लिए जहां जमीन अवाप्त की है, उन किसानों को भुगतान भी कर दिया और वर्तमान में जहां टोल प्लाजा तैयार किया जा रहा है, उन किसानों को कानूनी कार्रवाई की धौंस दिखाकर दादागिरी से काम कर रहे हैं। गंभीर बात यह है कि बिना जमीन अवाप्ति किए जा रहे कार्य के खिलाफ जोधपुर हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में न्यायालय ने स्थगन आदेश भी दिया है। इसके बावजूद निर्माण कार्य जारी है।
विधायक व सांसद की भी नहीं सुनी
निम्बी जोधा की सरहद में नियम विरुद्ध बनाए जा रहे टोल प्लाजा को लेकर किसान स्थानीय विधायक मनोहरसिंह राठौड़ से मिले तो उन्होंने नियमानुसार कार्य करने के लिए सरकार के नाम डिजायर लिख दी। इसके बाद पीडि़त किसान अशोक कुमार ओझा व बजरंगसिंह राजपूत महाराष्ट्र के गढ़चिरोली-चिमुर के सांसद अशोक नेते से मिले। सांसद नेते ने केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के नाम पत्र लिखकर नियम विरुद्ध बन रहे टोल प्लाजा का काम रुकवाने तथा पूर्व में निर्धारित जगह पर ही टोल बनवाने की सिफारिश की।
एेसे समझें पूरा मामला
राष्ट्रीय राजमार्ग-65 के सालासर-नागौर सेक्शन के पुनर्निर्माण व चौड़ाईकरण के तहत लाडनूं तहसील के भरनावा गांव की सरहद में टोल प्लाजा बनाना निर्धारित किया गया। इसके लिए किसानों की जमीन अवाप्त कर मुआवजा वितरण भी कर दिया गया। इसके बाद एनएचआई के अधिकारियों ने मनमाने ढंग से अडिय़ल रवैया अपनाते हुए लाडनूं के निम्बी जोधा कस्बे की सरहद में बिना जमीन अवाप्त किए किसानों की जमीन पर टोल प्लाजा निर्माण कार्य शुरू कर दिया। किसानों ने विरोध जताया, लेकिन न तो एनएचआई ने सुनी और न ही प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने सुनवाई की। उल्टा ज्यादा विरोध जताने पर अधिकारियों ने नक्शे में पेंसिंल से टोल प्लाजा दर्शाकर छाया प्रति किसानों को थमा दी।
धमकाते हैं अधिकारी
टोल प्लाजा के लिए भरनावा में जमीन अवाप्त की गई, लेकिन अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से जगह बदलकर हमारे खेतों में निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। मना करने गए तो अधिकारी बोले कि काम तो यहीं होगा, तुमसे जो हो कर लो। हाईकोर्ट के स्टे का हवाला दिया तो कानूनी कार्रवाई का डर बताने लगे। न तो प्रशासन हमारी सुनवाई कर रहा है और न ही पुलिस। हम कहां जाएं।
अशोक कुमार ओझा व बजरंगसिंह, पीडि़त किसान,
निम्बी जोधा
Published on:
12 Apr 2018 11:41 am
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