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किसे पता था संदीप जिंदा नहीं लाश बनकर लौटेगा, सात दिन पहले ही घर में आई खुशियां हो गई खाक

तकरीबन सवा साल नागौर जेल में बंद रहा संदीप उर्फ शेट्टी गैंगस्टर राजू उर्फ फौजी को हथियार सप्लाई करता था। यही नहीं उसका अजमेर और उदयपुर में शराब का कारोबार साझे में चल रहा था।

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Sandeep Sethi Murder Case.jpeg

नागौर. तकरीबन सवा साल नागौर जेल में बंद रहा संदीप उर्फ शेट्टी गैंगस्टर राजू उर्फ फौजी को हथियार सप्लाई करता था। यही नहीं उसका अजमेर और उदयपुर में शराब का कारोबार साझे में चल रहा था। लॉरेंस गिरोह के साथ बरसों आपराधिक वारदात करने वाला संदीप पिछले कुछ साल से इनसे अलग हो गया था। उसकी हत्या के पीछे लॉरेंस गिरोह के अलावा नागौर में संदीप ने जिस हत्या के लिए सुपारी ली थी, उसके बदले के रूप में भी देखा जा रहा है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि उसके साथ आए भेदी ने इस हत्याकांड में बड़ी भूमिका निभाई।

12 सितंबर को ही जमानत पर छूटा:
संदीप के एक बच्चा है, घर से पेशी के लिए निकला तब घर वालों ने संभलकर जाने और जल्द लौट आने को कहा था। अब किसे पता था कि संदीप आएगा तो जिंदा नहीं, लाश में तब्दील होकर। संदीप के पिता सुबक रहे थे। करीब सवा साल तक नागौर जेल में रहा। 12 सितंबर को जमानत के बाद सीधा अपने घर पहुंचा। घर वालों के साथ रिश्तेदार ही नहीं यार-दोस्त तक खुश थे। किसे पता था कि जल्द ही इन खुशियों को नजर लग जाएगी। सोमवार की दोपहर हिसार से अदालत में पेशी के बाद बाहर आने पर संदीप पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई, जिससे उसकी मौत हो गई। करीब एक दर्जन कारतूस के खोखे पुलिस ने बरामद किए, संदीप के शरीर में आधा दर्जन गोलियां धंसी। इस हमले में उसके साथी धर्मवीर, रवि पूनिया और सूर्यकांत भी घायल हो गए। धर्मवीर के जांघ, रवि के जांघ के ऊपर तो सूर्यकांत के खरोंचें आई। इसके अलावा वकील भंवरलाल खुडख़ुडिय़ा के बाएं हाथ पर गोली लगी।

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लग्जरी कार में हमलावर:
एएसपी राजेश मीना, सीओ विनोद कुमार सीपा, सदर सीआई रूपाराम अदालत के बाहर पहुंचे, इससे पहले ही संदीप उर्फ शेट्टी का शव उठाकर उसके साथी ले जा चुके थे। पुलिस को यहां दो लग्जरी कार में हमलावरों के फायरिंग करने की बात पता चली। ऐसे में पूरे जिले में नाकाबंदी भी कराई गई कि काले रंग की दो लग्जरी कार को रोका जाए। इस बीच अदालत के सामने पुलिस व मौजूद भीड़ को काले रंग की लग्जरी कार दिखी तो हो-हुल्लड़ मच गया। पुलिस की गाडिय़ों के साथ उनका पीछा किया गया तो रतन बहन स्कूल के बाहर इन कारों को पुलिस ने घेर लिया। आलम यह था कि सैकड़ों की भीड़ के बीच फायरिंग की आशंका थी, पुलिस ने जब गाडिय़ों को देखा तो उनमें एक घायल व दो-तीन अन्य मिले। घायल को पुलिस ने अपनी गाड़ी से जेएलएन अस्पताल पहुंचाया। तब जाकर पता चला कि इन कारों में संदीप अपने साथियों के साथ पेशी पर आया था।


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संदीप को पहले ले गए नवजीवन हॉस्पिटल:
बताया जाता है कि फायरिंग के बाद संदीप के साथ धर्मवीर व रवि पूनिया घायलों को उठाकर उसके साथ लग्जरी कार में डालकर पहले नवजीवन अस्पताल ले गए। यहां संदीप के सिर में गोली लगी थी। डॉ. रणवीर ने देखा तो संदीप की धडक़न चल रही थी, लेकिन सांस धीमी हो चुकी थी। आंखों की पुतलियां फैल चुकी थी। प्राथमिक उपचार करते ही उनको रेफर कर दिया। ये गाडिय़ां अब जेएलएन अस्पताल की तरफ रवाना हुईं। शहर में फायरिंग की खबर आग की तरह फैल गई, इस बीच जेएलएन अस्पताल में संदीप के नहीं पहुंचने से पुलिस तक सकते में आ गई। वकील समेत अन्य ने यह कहना शुरू कर दिया कि फायरिंग करने वाले अपनी गाड़ी में संदीप को ले गए। अस्पताल में फोन किया गया तो करीब आधा घंटे तक संदीप के नहीं पहुंचने से तरह-तरह की अफवाह फैलने लगी। पुलिस की सांस में सांस तब आई जब इनके अस्पताल पहुंचने का पता चला।