30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सालिगराम पत्थर से बनी भगवान की ये मूर्ति उगलती थी सोना, लक्ष्मी जी भी हैं साथ

Laxmi Narayan Temple: जगत के पालन हार भगवान नारायण और धन की देवी मां लक्ष्मी की एक ऐसी अद्भुत प्रतिमा जो सोना उगलती थी। दावा है कि करीब 400 साल पुराने इस मंदिर में एक नारियल से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

3 min read
Google source verification
laxmi narayan temple singhpur

Laxmi Narayan Temple: दिवाली पर हर कोई मां लक्ष्मी की आराधना कर रहा है और इसी बीच हम आपको बताने जा रहे हैं एक अनोखे लक्ष्मीनारायण मंदिर के बारे में जिसकी मूर्ति सोना उगलती थी। दावा है कि करीब 400 साल पुराने इस मंदिर में एक नारियल से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। नरसिंहपुर से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर बसे सिंहपुर (बड़ा) गांव में बने भगवान लक्ष्मीनारायण के सदियों पुराने मंदिर पर एक विशेष रिपोर्ट…

भगवान की मूर्ति उगलती थी सोना

नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर (बड़ा) गांव के लक्ष्मीनारायण मंदिर में विराजमान भगवान लक्ष्मीनारायण की अद्भुत मूर्ति से सालों पहले सोना बरसता था। रोजाना मूर्ति के पास सोने की हल्की सी परत जमी मिलती थी। मंदिर के पुजारी जुगल किशोर स्वामी ने बताया कि नौ पीढ़ियों से उनका परिवार मंदिर की सेवा में लगा हुआ है। नरसिंहपुर जिले के बरहटा ग्राम जो कि प्राचीन काल में विराट नगर के नाम से जाना जाता था वहां एक चरवाहे को सबसे पहले मूर्ति मिली थी। मूर्ति जमीन में उल्टी थी और चरवाहा मूर्ति के पिछले हिस्से पर अपनी कुल्हाड़ी को घिसकर पैना किया करता था। चरवाहे को मूर्ति के पास ही सोने की बारीक परतें मिलती थीं। एक बार जब एक साहूकार को चरवाहे ने सोना दिया तो उसे चरवाहे पर शक हुआ। साहूकार ने नगर के राजा को इस बात की जानकारी दी तो राजा ने चरवाहे को बुलाकर पूछा तो उसने पत्थर के पास सोने की परत मिलने की बात कही थी। तब इस मूर्ति का पता चला था। ऐसी भी कहा जाता है कि ये मूर्ति द्वापर युग की है।


यह भी पढ़ें- लक्ष्मी जी का ऐसा मंदिर जहां नहीं है मूर्ति, दीप जलाने लगती है भक्तों की कतार..


1680 में हुआ मंदिर का निर्माण

पुजारी जुगल किशोर के मुताबिक बरहटा (विराट नगर) में मूर्ति के मिलने के बाद जब स्थानीय लोगों ने उसे उठाने का प्रयास किया तो मूर्ति नहीं उठी। जिसके बाद सिंहपुर में रहने वाले उनके पूर्वज को बुलाया। जिन्होंने पूजन पाठ कर जब मूर्ति को उठाया तो मूर्ति आसानी से उठ गई। मूर्ति को लेकर दिलहरी के राजा अपने दिलहरी स्थित महल ले जा रहे थे। रात होने पर मूर्ति को सिंहपुर में रखा गया पर भगवान की लीला कहें या फिर कुछ और दूसरे दिन फिर मूर्ति सिंहपुर से नहीं उठी। जिसके बाद दिलहरी के राजा ने सिंहपुर में ही लक्ष्मीनारायण के मंदिर का निर्माण कराया।


यह भी पढ़ें- पंडित प्रदीप मिश्रा की ये रील हो रही वायरल, बता रहे दीपावली की रात कर्जा उतारने का उपाय

भगवान लक्ष्मीनारायण की जंघा पर विराजी हैं मां लक्ष्मी

सिंहपुर के लक्ष्मीनारायण भगवान की मूर्ति सालिगराम पत्थर की बताई जाती है जो अपने आप में अद्भुत है। मूर्ति चतुर्भुजी है जिसमें भगवान लक्ष्मीनारायण के बाएं ओर लक्ष्मी जी उनकी जंघा पर विराजमान हैं और भगवान उन्हें एक हाथ से संभाले हुए हैं। भगवान के एक हाथ में शंख है..एक में गदा और एक हाथ में पदम है। माना जाता है कि भारत में बद्रीनाथ धाम के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण की ऐसी मूर्ति सिर्फ सिंहपुर के लक्ष्मीनारायण मंदिर में है। भक्तों का मानना है कि मंदिर में एक नारियल से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है। भगवान लक्ष्मीनारायण की कृपा से सिंहपुर गांव काफी समृद्ध है और ग्रामीण तो ये भी कहते हैं ये भगवान लक्ष्मीनारायण की ही कृपा है कि गांव में अभी तक कभी अकाल नहीं पड़ा है।


यह भी पढ़ें- एक झटके में सारे दीये बिक गए अब मनाऊंगी दिवाली..देखें वीडियो