
Assembly Elections: इस साल के अंत में बिहार और अगले साल असम, केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नए प्रदेश नेतृत्व के साथ उतरने की तैयारी में है। संगठन मजबूत करने में जुटी पार्टी इन राज्यों में कुछ युवा नेताओं पर दाव खेल सकती है। असम में सांसद गौरव गोगोई को कमान सौंपी जा सकती है। इस बीच दिल्ली की तरह बिहार में कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों को आंख दिखाना शुरू कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस के लिए असम और केरल में अपने दम पर वापसी करना बड़ी चुनौती है। बिहार में कांग्रेस का प्रयास पर्याप्त सीटें जीत कर राजद सहित अन्य सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने का है। पार्टी ने बिहार में युवा नेता कृष्णा अल्लावरू को प्रभारी बनाकर बड़ा दांव खेला है। युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी रहे अल्लावरू तेज-तर्रार छवि के नेता माने जाते हैं।
असम में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम से अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा बनाम गौरव गोगोई होता दिख रहा है। कांग्रेस 42 साल के गौरव को अब असम की जिम्मेदारी देने की तैयारी में है। पिछले दिनों गौरव की पत्नी को लेकर भाजपा खासी आक्रमक रही। गोगोई परिवार पर मुकदमे किए गए तो पार्टी उनके साथ डटकर खड़ी रही। खुद गौरव पहली बार प्रदेश की सियासत में खासे सक्रिय हुए हैं।
केरल में अगले साल अप्रेल में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस यहां वापसी चाहती है वहीं भाजपा भी अपनी पैठ जमाने की कोशिश में है। गुटबाजी से ग्रसित कांग्रेस ने नेतृत्व के लिए सारे विकल्प खोल रखे हैं। गांधी परिवार के नजदीकी के.सी.वेणुगोपाल केरल जाना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें हरी झंडी नहीं मिली है। शशि थरूर ने केरल में नेतृत्व करने का दावा ठोक कर पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। प्रदेश में पार्टी सोच-समझ कर नए नेतृत्व को कमान सौंपने के मूड में है।
बिहार में कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरू के प्रभारी बनाकर विधानसभा चुनाव की आक्रामक रणनीति बनानी शुरू कर दी है। दिल्ली का उदाहरण देखते हुए ज्यादा सीटों की चाहत में कांग्रेस ने अपने सबसे पुराने सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल को भी आंख दिखाई है। अल्लावरू कह चुके हैं कि जरूरत पड़ी तो बिहार में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ सकती है। पार्टी यहां 70 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
Published on:
26 Feb 2025 07:39 am
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