Baby Care Fire Incident: गुरु तेग बहादुर अस्पताल में एक पत्थर पर भावशून्य बैठे विनोद शर्मा का नवजात अंदर शवगृह में बैग में बेजान पड़ा है। एक दिन पहले ही शर्मा परिवार ने उसके जन्म का जश्न मनाया था। बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में लगी आग में मरने वाले सात शिशुओं में यह सबसे छोटा था। दो बच्चों की असमय मौत के बाद उसका जन्म हुआ था। शर्मा ने कहा, 'हम बहुत खुश थे क्योंकि इस बार उम्मीद थी कि बच्चा बच जाएगा। उसे सांस लेने में दिक्कत थी। डॉक्टर ने कहा था कि कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा।… हमें नहीं पता था कि अस्पताल उसे मार देगा।'
गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शवगृह के पास रविवार को भीड़ थी। दो पुलिसकर्मी कुछ लोगों के बयान दर्ज कर रहे थे। वे उन बच्चों के पिता, चाचा, दादा और पड़ोसी थे जो आग में मारे गए थे। अस्पताल की रजिस्ट्री में शिशुओं की पहचान केवल उनकी माताओं के नाम से थी। अधिकांश माताओं को तब तक आग के बारे में पता नहीं था। परिवारों ने नहीं बताया क्योंकि 'बताने के लिए कोई शब्द नहीं है।' शर्मा ने कहा, 'मैं अपनी पत्नी को क्या बताऊंगा? वह दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।'
अस्पताल में बेचैन खड़े अमित ने बताया कि जब सुबह भाई घर से नवजात शिशु अस्पताल जाने के लिए निकले तो उन्होंने फोन किया। उन्हें पता चला कि बच्चों को पहले ही जीटीबी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है। अमित ने बताया, कि हमें उम्मीद थी कि हमारा बच्चा जिंदा होगा। जब हम अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने हमें शवगृह जाने को कहा।
बासठ साल की शहनाज़ खातून दिल्ली के भजनपुरा से आई थीं। उनकी आंखें सूजी हुई थीं। उनका पोता पांच दिन का था। कहने लगीं 'हमें उम्मीद थी कि उसे दो दिन में छुट्टी मिल जाएगी। हमें नहीं पता था कि हम उसका शव घर ले जाएंगे।
उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल पवन कसाना ने बताया कि उनका पहला बच्चा था। डॉक्टर ने बताया कि उसे पेट में संक्रमण है और उसे कुछ दिनों तक देखभाल की ज़रूरत है। वह पिछले छह दिनों से अस्पताल में था। जब वह अपने नवजात को लेकर आए थे, तो डॉक्टर ने कहा था कि सब ठीक हो जाएगा।
Updated on:
27 May 2024 02:26 pm
Published on:
27 May 2024 10:59 am