7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बिहार में राहुल गांधी का ‘दलित-पिछड़ा कार्ड’ कितना कारगर! क्या बदल जाएगा 20 साल का वोटिंग पैटर्न?

Bihar Elections 2025: बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ने दलित और पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाई है। राहुल गांधी जातीय जनगणना, आरक्षण और SC-ST सबप्लान पर जोर देकर अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से संगठित करने की कोशिश में जुटे हैं।

3 min read
Google source verification

Bihar Elections 2025: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर कांग्रेस पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रही है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पिछले चार महीनों में चौथी बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। ताजा दौरे में उन्होंने दरभंगा में अंबेडकर छात्रावास के छात्रों से संवाद किया और पटना में 'फुले' फिल्म देखकर एक स्पष्ट सामाजिक-संदेश देने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने तीन प्रमुख मांगें उठाईं- देश में जातीय जनगणना, निजी क्षेत्रों में ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण और SC-ST सब प्लान के तहत फंडिंग की गारंटी।

दलितों की ओर कांग्रेस की वापसी की कोशिश

बिहार में एक दौर था जब दलित, ब्राह्मण और अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रमुख वोट बैंक हुआ करते थे। लेकिन 1990 के दशक के बाद विशेषकर 1995 के बाद कांग्रेस का यह आधार धीरे-धीरे खिसकता गया। मंडल राजनीति, क्षेत्रीय दलों का उभार और सामाजिक न्याय की नई परिभाषाओं ने कांग्रेस को राज्य की राजनीति में हाशिए पर पहुंचा दिया।

राहुल का दलितों के प्रति जुड़ाव

अब राहुल गांधी एक बार फिर दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। अंबेडकर छात्रावास में छात्रों के साथ संवाद और सामाजिक सुधारक ज्योतिबा फुले पर बनी फिल्म देखना इसी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस यह दिखाना चाह रही है कि वह सामाजिक न्याय के मुद्दों पर गंभीर है और दलित-पिछड़ा समुदाय उसके एजेंडे का केंद्रीय हिस्सा है।

कांग्रेस की संगठनात्मक रणनीति में बदलाव

दलितों को जोड़ने की दिशा में कांग्रेस ने संगठन स्तर पर भी बदलाव किए हैं। पार्टी ने कुछ महीने पहले अपने सवर्ण नेता अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर दलित समुदाय से आने वाले राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। साथ ही सुशील पासी को प्रदेश का सह प्रभारी नियुक्त किया गया। इस साल फरवरी में कांग्रेस ने पहली बार प्रसिद्ध पासी नेता जगलाल चौधरी की जयंती भी मनाई, जिसमें राहुल गांधी खुद शामिल हुए। इससे यह साफ संकेत जाता है कि पार्टी अपने पुराने दलित वोट बैंक को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।

बिहार में दलितों की राजनीतिक अहमियत

बिहार में दलितों की आबादी करीब 19% है, जो राज्य की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार ने दलितों को ‘महादलित’ श्रेणी में बांटकर इस वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की सफल कोशिश की थी। पासवान जाति को छोड़ बाकी 21 जातियों को महादलित श्रेणी में शामिल किया गया था, जिसे बाद में पासवानों को भी जोड़ लिया गया। इस सामाजिक इंजीनियरिंग का असर यह हुआ कि दलितों का बड़ा वर्ग जेडीयू और एनडीए की ओर झुक गया। आपको बता दें कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 38 सीटें अनुसूचित जाति और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

यह भी पढ़ें- बिहार में नीतीश के चेहरे पर चुनाव: BJP ने बनाया ये समीकरण, इतनी सीटें चाहती है भगवा पार्टी

कांग्रेस का वोट शेयर: गिरावट की कहानी

पिछले तीन दशकों में बिहार में कांग्रेस के जनाधार में लगातार गिरावट आई है:

1990: 24.78%
1995: 16.30%
2000: 11.06%
2005: 6.09%
2010: 8.37%
2015: 6.7%
2020: 9.48%

यह गिरावट साफ तौर पर बताती है कि नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के लिए राज्य की राजनीति में टिके रहना भी मुश्किल हो गया। हालांकि 2020 में थोड़ा सुधार जरूर हुआ, लेकिन वह पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।

यह भी पढ़ें- बिहार की ये 8 ‘वोटकटवा’ पार्टियां बन सकती हैं सियासी चौसर की किंगमेकर, बड़ी पार्टियों को है इनकी जरूरत

क्या असर डालेगी राहुल की रणनीति?

राहुल गांधी की लगातार यात्राएं, दलित समुदाय से जुड़ाव और सामाजिक मुद्दों पर फोकस यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब बिहार में जातीय-समाजिक समीकरणों को नए सिरे से साधने की कोशिश में है। हालांकि, यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह आने वाले चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा। मगर इतना तो तय है कि कांग्रेस इस बार अपने पारंपरिक वोट बैंक की वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।

अगर दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस की ओर लौटता है, तो राज्य में सत्ता समीकरण बदल सकते हैं और कांग्रेस एक बार फिर क्षेत्रीय राजनीति में प्रासंगिकता हासिल कर सकती है।