
अमरीकी अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) की सोशल मीडिया साइट एक्स (X) की ओर से भारत में सेंसरशिप के आरोपों के साथ दायर शिकायत पर केंद्र सरकार ने कहा है कि गैरकानूनी सामग्री को अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के बराबर संवैधानिक संरक्षण नहीं मिल सकता। केंद्र ने याचिका को भारी जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की है।
कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि डिजिटल बदलाव के साथ-साथ साइबर खतरे तेजी से बढ़े हैं। साइबरस्पेस में गैरकानूनी और हानिकारक जानकारी का प्रसार नाबालिग से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक आबादी के एक बड़े हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसलिए ऑनलाइन ऐसी सामग्री को कानूनी तौर पर रोकने की जरूरत है।
केंद्र सरकार का मानना है कि संभावित नुकसान को कम करने, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने, कमजोर आबादी की रक्षा करने और सभी उपयोगकर्ताओं के डिजिटल अधिकारों और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए यह समय पर दखल करना निर्वाचित सरकार के लिए महत्वपूर्ण है।
सरकार ने कहा कि आइटी एक्ट की धारा 79 और संबंधित नियम मध्यस्थ को उनके प्लेटफॉर्म पर किसी भी गैरकानूनी सामग्री के मामले में नोटिस देने का अधिकार देते हैं कि यदि वे वैधानिक संरक्षण चाहते हैं, तो उक्त सामग्री को हटा दिया जाना चाहिए। यह प्रावधान अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के विपरीत नहीं है। सरकार ने यह भी कहा कि सहयोग पोर्टल प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए केवल एक सुविधाजनक तंत्र है, जो मध्यस्थों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों दोनों को लाभान्वित करता है। अदालत इस याचिका पर 3 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
Updated on:
29 Mar 2025 10:17 am
Published on:
29 Mar 2025 09:29 am
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