
ISRO: Spadex Mission
ISRO Spadex Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मार्च के मध्य में ‘स्पैडेक्स’ मिशन (Spadex Mission) पर फिर प्रयोग शुरू करेगा। इसका उद्देश्य दो सैटेलाइट चेजर और टार्गेट को अलग करना और फिर दोबारा जोड़ना है ताकि भविष्य की परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकियों में निपुणता प्राप्त की जा सके। यह बात राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के दौरान इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने कही।
इसरो ने पिछले साल 30 दिसंबर को ‘स्पैडेक्स’ मिशन की शुरुआत की थी। तब इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को आपस में जोड़ने (डॉकिंग) के प्रयोग को प्रदर्शित करने के लिए दो उपग्रहों - एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को कक्षा में स्थापित किया था। कई कोशिशों के बाद इसरो ने 16 जनवरी 2025 को यह सफलता प्राप्त की थी।
डॉकिंग प्रक्रिया, आणविक मॉडलिंग की एक तकनीक है। यह एक सिमुलेशन प्रक्रिया है। इसका इस्तेमाल किसी अणु और लक्ष्य प्रोटीन के बीच बंधन की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। डॉकिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल, दवाओं के डिज़ाइन में भी किया जाता है।
नारायणन ने कहा, ‘‘फिलहाल हम उपग्रहों को अलग करने और उन्हें पुनः डॉक करने के लिए ‘सिमुलेशन’ प्रयोग कर रहे हैं। हमने एक योजना तैयार कर ली है और 15 मार्च से वास्तविक प्रयोग शुरू करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कई प्रयोग करना चाहते हैं… हमारे पास तीसरे स्लॉट के लिए भी प्रयोग की योजना है जो दो महीने बाद उपलब्ध होगा।’’ नारायण ने बताया कि ‘स्पैडेक्स’ मिशन कई भावी परियोजनाओं के लिए अहम है, जैसे कि चंद्रयान-4 और भारत अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण जिसमें ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल होगा।
Updated on:
01 Mar 2025 02:46 pm
Published on:
01 Mar 2025 01:45 pm
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