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‘मुस्लिमों ने बंकिम चंद्र के भाव को…’, लोकसभा में मुसलमानों पर बोलते समय राजनाथ सिंह को टोका, भड़क उठे रक्षामंत्री

Congress Muslim League: संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अपना भाषण दे रहे थे।

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Defence Minister Rajnath Singh statement on Sindh Geography India and Pakistan Millions of hearts were stirred

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फोटो - ANI)

Rajnath Singh Angry in Parliament: संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम पर बोलते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुसलमानों पर बड़ा बयान दे रहे थे। इसी दौरान विपक्ष ने टोका तो वे भड़क उठे और बोले, “कौन बैठाने वाला है, कौन बैठाएगा!”

कांग्रेस-मुस्लिम लीग पर तीखा प्रहार

लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह गीत रामायण के श्लोक “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” से प्रेरित होकर लिखा गया था। वे बोल रहे थे, “भारतीय मुस्लिमों ने बंकिम चंद्र चटर्जी के भाव को…” – इतना ही कहा था कि सदन में शोर शुरू हो गया। इस पर राजनाथ सिंह क्रोधित हो गए और जोर देकर बोले, “कौन बैठाने वाला है, कौन बैठाएगा?” बाद में अपनी बात पूरी करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिमों ने बंकिम चंद्र के भावों को कांग्रेस और मुस्लिम लीग से कहीं बेहतर समझा है।

वंदे मातरम को अपूर्ण बनाने की कोशिशें

राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम स्वयं में पूर्ण है, लेकिन इसे अपूर्ण बनाने की कोशिश की गई। यह राष्ट्रीय भावना का अमर गीत है और सदैव अमर गीत बना रहेगा। उन्होंने इसे तुष्टीकरण की राजनीति का शिकार बताया और कहा कि राष्ट्रगीत के साथ भी अन्याय हुआ है।

बराबर का दर्जा नहीं मिला

रक्षामंत्री ने दुख जताया कि आजाद भारत में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को बराबर का दर्जा मिलना चाहिए था। एक मुख्यधारा में जगह पा गया, लेकिन वंदे मातरम को खंडित कर हाशिए पर धकेल दिया गया। आज इसे सिर्फ “अतिरिक्त गीत” की तरह देखा जाता है।

टोकने पर भड़के राजनाथ

भाषण के बीच विपक्षी सदस्यों ने टोका तो रक्षामंत्री आक्रोशित हो गए। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत की और कहा, “संसद में अपनी बात रखने का अधिकार सबको है। एक सदस्य की बात पूरी होने दीजिए। आप माननीय सदस्य हैं, संसद की मर्यादा का ध्यान रखें।” उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों को फटकार लगाते हुए दोहराया कि भारतीय मुस्लिमों ने बंकिम चंद्र चटर्जी के भावों को इन दोनों से कहीं बेहतर समझा है।