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170 करोड़ के महल में ठहरे हैं पुतिन, जानें 8.2 एकड़ में फैले 36 कमरे वाले रॉयल गेस्ट-हाउस की खासियत

हैदराबाद हाउस की सबसे अनोखी विशेषता इसका बटरफ्लाई-शेप डिज़ाइन है। 8.2 एकड़ में फैला यह परिसर भव्य है। पूरे भवन में 36 विशाल कमरे, कई मीटिंग हॉल, एक भव्य केंद्रीय कक्ष और लंबा डाइनिंग हॉल शामिल है

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Vladimir Putin in Hyderabad House

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

Vladimir Putin in Hyderabad House: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान जिस ऐतिहासिक भवन में उनका स्वागत और प्रमुख मुलाकातें हो रही हैं, वह है हैदराबाद हाउस-दिल्ली का सबसे भव्य और प्रतिष्ठित राजकीय गेस्ट हाउस। करीब 170 करोड़ रुपये मूल्य आंके जाने वाले इस शाही परिसर का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी इसकी दीवारों पर उकेरी गई वास्तु विरासत। 8.2 एकड़ में फैले इस भवन में कुल 36 विशाल कमरे हैं, जिनमें आज भी शाही ठाठ और भारतीय कूटनीति का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

निजामों का महल, अब भारत का डिप्लोमैटिक हब

हैदराबाद हाउस को मूल रूप से हैदराबाद के आखिरी निज़ाम मीर उस्मान अली खान के लिए बनवाया गया था, जिन्हें कभी दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति माना जाता था। यह भवन 1920 के दशक में बना था और इसकी डिज़ाइन लुटियंस दिल्ली के निर्माता सर एडविन लुटियंस ने तैयार की थी।

आज यही वह स्थान है जहां भारत दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के नेताओं की मेजबानी करता है और बड़े ऐतिहासिक निर्णय लिए जाते हैं। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इस भवन का उपयोग औपचारिक बैठकों, हाई-लेवल वार्ताओं और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लिए करना शुरू किया। आज यह भारत की कूटनीति का सबसे प्रतिष्ठित प्रतीक माना जाता है।

बटरफ्लाई डिजाइन और मुगलियत की झलक

हैदराबाद हाउस की सबसे अनोखी विशेषता इसका बटरफ्लाई-शेप डिज़ाइन है, जिसे लुटियंस ने निज़ाम के शाही स्वाद को ध्यान में रखते हुए तैयार किया था। भवन के बीचोंबीच एक विशाल गुंबद है, जिसके चारों ओर बड़े आर्चदार हॉल, भोजन कक्ष और बैठक कक्ष बने हुए हैं।

सफेद-पीले संगमरमर, मुगल शैली की नक्काशी और यूरोपीय आर्किटेक्चर का मिश्रण इसे दिल्ली के अन्य भवनों से अलग पहचान देता है। इसकी ऊँची छतें, भारी लकड़ी के दरवाजे और लंबे गलियारे आज भी पुराने जमाने की रॉयल भव्यता को जीवित रखते हैं।

36 कमरे, प्रेजेंटेशन हॉल और शाही डाइनिंग स्पेस

8.2 एकड़ में फैला यह परिसर अंदर से भी उतना ही भव्य है जितना बाहर से। पूरे भवन में 36 विशाल कमरे, कई मीटिंग हॉल, एक भव्य केंद्रीय कक्ष और लंबा डाइनिंग हॉल शामिल है, जहाँ वर्षों से महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौते होते आए हैं। इसी कारण भारत में जब कोई बड़ा राजनयिक आयोजन होता—चाहे प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय वार्ता हो या किसी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत—स्थान के रूप में सबसे पहले हैदराबाद हाउस का नाम ही सामने आता है।

पुतिन की मेजबानी के लिए क्यों चुना गया यह स्थान?

रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक सहयोग के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है। ऐसे में हैदराबाद हाउस का चयन यह दर्शाता है कि भारत इस मुलाकात को किस स्तर की प्राथमिकता दे रहा है। यह भवन सुरक्षा, प्रोटोकॉल और गोपनीयता—तीनों के लिहाज से बिल्कुल उपयुक्त है। साथ ही, इसका ऐतिहासिक महत्व और राजनयिक परंपरा इसे शीर्ष स्तर के विदेशी मेहमानों की मेजबानी का आदर्श स्थान बनाते हैं।

भारत की शान और कूटनीति का प्रतीक

हैदराबाद हाउस पिछले 100 वर्षों से भारतीय विरासत, शान और विदेश नीति का गवाह रहा है। निज़ामों की विलासिता से लेकर आधुनिक भारत की कूटनीति तक—यह महल हर दौर में अपनी अहम भूमिका निभाता रहा है।