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ऐसा भी होता है: ‘यहां 10वीं फेल रखता है पीएचडी करने वाले शिक्षाविदों पर नजर’

उच्च शिक्षा विभाग ने नीमच जिले का स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर काॅलेज में एक ऐसे जनभागीदारी समिति अध्यक्ष की नियुक्ति की है, जो खुद ही दसवीं फेल है। इसे लेकर पिछले दिनो काफी विरोध भी हुआ। सोशल मीडिया पर अब भी लोग अपने अपने तर्क दे रहे हैं।

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ऐसा भी होता है

ऐसा भी होता है: 'यहां 10वीं फेल रखता है पीएचडी करने वाले शिक्षाविदों पर नजर'

नीमच/ मध्य प्रदेश के नीमच जिले का स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर काॅलेज इन दिनों खासी चर्चा में है। कारण है, यहां हुई जनभागीदारी समिति अध्यक्ष की नियुक्ति। दरअसल, जब से उच्च शिक्षा विभाग ने कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष राकेश अहीर काे समिति अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया, तभी से इसका विराेध भी शुरू हाे गया। जहां एक तरफ पार्टी कार्यकर्ताओं और नेता इसपर राेष जताते हुए संगठन से भी इसकी शिकायत भी की। विरोध है अहीर की शैक्षणिक याेग्यता और उनपर लगा क्रिमिनल रिकॉर्ड। हालांकि अहीर, बीते मंगलवार पदभार संभाल चुके हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर इनके विरोध की चर्चाएं अब भी गरम हैं।

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इसलिए हो रहा विरोध

बता दें कि, उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के करीब 136 सरकारी कॉलेजों की जनभागीदारी समितियों के अध्यक्ष नियुक्त किये थे। इसमें जिले के चार कॉलेजों में कांग्रेस से जुड़े नेताओं की नियुक्ति भी की गई। लेकिन, जिले के लीड कॉलेज में राकेश अहीर की नियुक्ति को लेकर सबसे ज्यादा हुआ। फैसले के विरोध करते हुए पूर्व कांग्रेस पार्षद व वरिष्ठ अभिभाषक महेश पाटीदार ने संगठन के बीच रोष व्यक्त करते हुए यहां तक कहा था कि, अहीर जिले के किसी भी कॉलेज में अध्ययनरत नही रहे है और न उन्हाेंने कोई उच्च शिक्षा की डिग्री ली है। फिर भी उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि, इतने विरोध का कोई असर उच्च शिक्षा विभाग पर नहीं पड़ा और बीते मंगलवार उन्होंने काफी जोरों शोरों पर पदभार ग्रहण भी कर लिया।

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पोस्ट के बाद उठे सवाल

सबसे पहले इस मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी जिनेंद्र सुराना ने राकेश अहीर की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए थे। इस संबंध में उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर शेयर किया था कि, 'कॉलेज की जनभागीदारी समिति का अध्यक्ष होगा दसवीं फेल। पीएचडी और शोधपत्र पढ़ने वाले शिक्षाविदों पर रखेगा नियंत्रण। जय हो एमपी सरकार।' उनकी पोस्ट के बाद से ही कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध शुरु हुआ था।