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वित्त मंत्रालय के अधिकारी के साथ हादसे में नया खुलासा, नशे में BMW नहीं चला रही थीं गगनप्रीत

Delhi BMW Accident: आरोपी गगनप्रीत के वकील विकास पाहवा ने पुलिस की एफआईआर पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि घटना रविवार दोपहर करीब 1:30 बजे हुई, लेकिन एफआईआर रात 11:30 बजे दर्ज की गई।

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दिल्ली में वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवजोत सिंह को टक्कर मारने के मामले में नया खुलासा।

Delhi BMW Accident: नई दिल्ली के धौला कुंआ इलाके में रविवार को हुए सड़क हादसे ने राजधानी को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में वित्त मंत्रालय में बतौर डिप्टी सेक्रेटरी तैनात नवजोत सिंह की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं। नवजोत सिंह अपनी पत्नी के साथ मोटरसाइकिल से जा रहे थे, तभी पीछे से आ रही तेज रफ्तार BMW कार ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर के बाद बाइक बगल से गुजर रही एक डीटीसी बस से जा भिड़ी। इस हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोग स्तब्ध रह गए।

आरोपी महिला न्यायिक हिरासत में

इस मामले की मुख्य आरोपी महिला ड्राइवर गगनप्रीत कौर को दिल्ली पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने उसे दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मंगलवार को उसकी ब्लड रिपोर्ट सामने आई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि उसने शराब का सेवन नहीं किया था। यानी हादसे के वक्त वह नशे में नहीं थी। रिपोर्ट आने के बाद से ही घटना के कानूनी पहलुओं को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।

FIR की टाइमिंग और विरोधाभास

आरोपी गगनप्रीत के वकील विकास पाहवा ने पुलिस की एफआईआर पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि घटना रविवार दोपहर करीब 1:30 बजे हुई, लेकिन एफआईआर रात 11:30 बजे दर्ज की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि एफआईआर की सामग्री पुलिस उपायुक्त (DCP) की प्रेस कॉन्फ्रेंस से मेल नहीं खाती। "घटना के दस घंटे बाद दर्ज की गई एफआईआर कई जगहों पर संदिग्ध लगती है," पाहवा ने मीडिया से कहा।

वकील ने कहा 'गलत धाराएं लगाई गईं'

आरोपी के वकील का तर्क है कि यह मामला महज लापरवाही से गाड़ी चलाने का है, जो एक जमानती अपराध है। लेकिन पुलिस ने इसमें ऐसी धाराएं जोड़ी हैं, जिनसे मामला गैर-जमानती हो गया। उन्होंने कहा कि जब दुर्घटना धौला कुंआ के खतरनाक मोड़ पर हुई, तो कार का अगला हिस्सा पहले टकराया। इसके बाद मोटरसाइकिल पर सवार नवजोत और उनकी पत्नी एक बस से जा टकराए। वकील का यह भी कहना है कि हादसे के वक्त गगनप्रीत की कार में उसका पति और बच्चा भी मौजूद थे। टक्कर इतनी तेज थी कि उनके एयरबैग भी खुल गए और वे भी घायल हुए। ऐसे में इसे गैर-इरादतन हत्या (IPC धारा 304) का मामला मानना उचित नहीं है।

सीसीटीवी फुटेज और अस्पताल ले जाने का विवाद

पाहवा ने दावा किया कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज अदालत में पेश नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हादसे के बाद आरोपी ने खुद नवजोत और उनकी पत्नी को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की। "वह पीड़ितों को 45 मिनट दूर अस्पताल लेकर गईं और रास्ते में ही डॉक्टर से फोन पर संपर्क कर इमरजेंसी की तैयारी रखने को कहा," वकील ने बताया। उनके अनुसार, पीड़ितों को करीब 46 मिनट में अस्पताल पहुंचाया गया। वहां डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की लेकिन देर रात करीब 2:16 बजे नवजोत को मृत घोषित कर दिया गया।

पीड़ित पक्ष के वकील ने क्या कहा?

वहीं, मृतक नवजोत सिंह के वकील ईशान दीवान ने HT से कहा कि अभी सबसे ज़रूरी है कि न्याय हो और इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। उन्होंने बताया कि अदालत ने आरोपी को पुलिस हिरासत में भेजने की मांग ठुकरा दी और केवल दो दिन की न्यायिक हिरासत दी। आरोपी की जमानत याचिका दाखिल हो चुकी है और उस पर सुनवाई दो दिन बाद होगी।

हादसे से गुस्सा और बहस तेज

यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि दिल्ली की सड़कों पर सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल खड़े करता है। आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में तेज रफ्तार और लापरवाही अहम कारण माने जाते हैं। नवजोत सिंह के परिजनों का कहना है कि परिवार का सहारा छिन गया है, जबकि उनकी पत्नी अभी भी अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रही हैं। वहीं, कानूनी बहस इस बात पर अटकी है कि यह मामला लापरवाही का है या गैर-इरादतन हत्या का। पुलिस और अदालत में दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में अदालत का फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा।