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दिल्ली में पकड़ा गया ‘बैंड बाजा बारात’ गैंग, मध्य प्रदेश से जुड़ रहे तार, अपनाते थे खास ट्रिक

Band Baja Baraat Robbery Gang: दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने एक लुटेरे गैंग का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इसे 'बैंड बाजा बारात' गैंग का नाम दिया है। इस गैंग के सदस्य शादियों में अतिथि बनकर शामिल होते थे। इसके बाद बड़ी वारदात को अंजाम देते थे। दिल्ली से एमपी तक गैंग के तार फैले हैं।

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Band Baja Baraat Robbery Gang: दिल्ली में पकड़ा गया 'बैंड बाजा बारात' गैंग, मध्य प्रदेश से जुड़ रहे तार, अपनाते थे खास ट्रिक

Band Baja Baraat Robbery Gang: दिल्ली क्राइम ब्रांच टीम ने एक अंतरराज्यीय लूट गैंग का पर्दाफाश किया है। इसे 'बैंड बाजा बारात' गैंग का नाम दिया गया है। दिल्ली क्राइम ब्रांच टीम ने गैंग के सरगना समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक 15 साल का किशोर भी शामिल है। क्राइम ब्रांच के एडिशनल पुलिस कमिश्नर संजय भाटिया ने बताया ‌"दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने 'बैंड बाजा बारात' गैंग के चार आरोपियों को गिरफ्तार है। इसमें एक 15 साल का किशोरी भी शामिल है। आरोपियों के पास से पुलिस को 2 लाख 14 हजार रुपये नकद और ज्वेलरी बरामद हुई है। जांच में पता चला कि ये रकम शास्‍त्री पार्क, जीटीबी एंक्लेव और स्वरूपनगर से लूटी गई थी। गैंग का सरगना कल्लू छायल है। जबकि कुलजीत और अज्जू सहयोगी हैं। सभी आरोपियों को शास्त्री पार्क मेट्रो डिपो में छापेमारी के दौरान पकड़ा गया है।

दिल्ली की कई घटनाएं सुलझीं

दिल्ली पुलिस के अनुसार, मध्य प्रदेश का यह गैंग दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में होने वाली आलीशान शादियों को निशाना बनाता था। पुलिस का कहना है कि मध्य प्रदेश के राजगढ़ से संबंध रखने वाले इस गैंग के सरगना की गिरफ्तारी के साथ ही शहर के शास्त्री पार्क, स्वरूप नगर और गुरू तेग बहादुर एनक्लेव में हुए शादी समारोहों में हुई चोरी की तीनों वारदातों का मामला भी सुलझ गया है। पुलिस के मुताबिक इस गैंग के सदस्य मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के रहने वाले हैं और यह गिरोह खासकर आलीशान शादी-समारोहों को ही निशाना बनाता था। यह गैंग इन शादियों से नकदी और आभूषण चोरी करने की कई घटनाओं में शामिल रहा है।

'बैंड बाजा बारात' गिरोह की गिरफ्तारी पर क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी संजय भाटिया ने कहा "हमारी क्राइम ब्रांच की एक टीम को डीसीपी अपूर्वा और एसीपी सुशील लीड करते हैं। इसी टीम में इंस्पेक्टर दिलीप कुमार की टीम को सूचना मिली कि कुछ लोग मध्य प्रदेश के राजगढ़ से दिल्ली आते हैं। यहां वह छोटे बच्चों की मदद से बैंक्वेट हॉल और शादियों में लूटपाट और डकैती करते हैं। इन वारदातों को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया जाता था। गैंग के सदस्यों को अच्छे कपड़े पहनकर शादियों में घुसने और मेहमानों के बीच घुलने मिलने में महारत हासिल है।"

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मध्य प्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले हैं सभी आरोपी

दिल्ली क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी संजय भाटिया ने बताया "सभी आरोपी मध्य प्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले हैं। वह राजगढ़ से ही अपने पड़ोसियों के बच्चों को अपने गैंग में काम देते थे। इसके बदले उनके माता-पिता को 12 लाख रुपये सालाना बतौर मेहनताना देते थे। राजगढ़ से बच्चों को दिल्ली लाकर उन्हें शादियों और इसी तरह के समारोहों में डकैती करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। यह लोग अच्छे कपड़े पहनकर शादियों में मेहमान बनकर आते थे। ताकि कोई उन पर शक न करे। वे एक दिन में 2-3 डकैती करते थे और अपने गृहनगर लौट जाते थे।

मेहमानों की तरह शादियों में शामिल होते थे आरोपी

दिल्ली क्राइम ब्रांच की डीसीपी अपूर्वा गुप्ता ने बताया "इस गिरोह को अच्छे कपड़े पहनकर शादियों में घुसने और मेहमानों के बीच घुलने-मिलने में महारथ हासिल थी। वे किसी भी शादी में इस तरह से शामिल होते थे कि जैसे उन्हें वहां बुलाया गया हो, ये लोग वहां खाना खाते थे और वारदात करने के लिए धैर्यपूर्वक सही समय का इंतजार करते थे। इसके बाद जैसे ही आरोपियों को सही मौका मिलता, वे दूल्हा-दुल्हन के लिए रखे गए उपहार, आभूषण और कैश से भरे बैग चुरा लेते थे और वहां से रफूचक्कर हो जाते थे।"

हाई प्रोफाइल शादियों में लूट की घटनाओं से एक्टिव हुई क्राइम ब्रांच

बतौर डीसीपी अपूर्वा गुप्ता "दिल्ली-एनसीआर की हाई-प्रोफाइल शादियों में हो रही चोरी की लगातार कई घटनाएं सामने आईं। इसके बाद पुलिस ने इस मामले की बारीकी से जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस ने विभिन्न विवाह स्थलों के सीसीटीवी खंगाले। इसके साथ ही अलग-अलग बैंक्वेट हाल और फार्म हाउस में अपने मुखबिर एक्टिव किए। इसके बाद पुलिस अपराधियों की पहचान करने में सफल रही। पकड़े गए आरोपियों की पहचान अज्जू (24 साल), कुलजीत (22 साल) और कालू छायल (25) के रूप में हुई है। ये सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।"

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शादियों में लूटपाट के लिए अपनाते थे खास ट्रिक

महिला अधिकारी ने बताया कि पकड़ में आए बिना वारदात को अंजाम देने के लिए इस गैंग की सबसे खास ट्रिक यह थी कि ये लोग चोरी करने के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल करते थे। साथ ही जांच के दौरान यह भी पता चला है कि गिरोह का सरगना वारदात में बच्चों का इस्तेमाल करने के लिए अपने साथ ले जाने के बदले गांव में उनके माता-पिता को हर साल 10 से 12 लाख रुपए देने का लालच देता था। गुप्ता ने आगे बताया कि गिरोह में शामिल इन बच्चों की उम्र 9 से 15 साल है, जिन्हें वारदात के लिए उनके गांव से दिल्ली लाया जाता है। इसके बाद उन्हें इस बात की ट्रेनिंग दी जाती है कि बिना किसी की नजर में आए सामानों को कैसे चुराया जाता है। साथ ही उन्हें मेहमानों के साथ घुलने-मिलने, आत्मविश्वास से काम लेने और पकड़े जाने पर चुप रहने की ट्रेनिंग भी दी जाती है।