
कुर्सी से उठते ही लड़खड़ा गए मनमोहन सिंह, निर्मला सीतारमण ने पकड़ी हाथ, राहुल देखते रहे तमाशा !
नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार के दौरान एक शुक्रवार को एक ऐसी घटना घटी जिसने राजनीतिक के स्तर को और नीचे गिरा दिया है। दरअसल स्मृति स्थल जहां पर वाजपेयी जी का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, वहां सभी राजनेता एक स्थान पर बैठे थे। उसमें पहले कतार पर पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, मनमोहन सिंह, निर्मला सीतारमण आदि नेता बैठे थे। तभी अटल जी को भावभिनी श्रद्धांजलि देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी जगह से उठे। इस दौरान मनमोहन सिंह थोड़ा लड़खड़ा गए। इस फौरन अपनी कुर्सी से उठकर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और एक अन्य सहयोगी ने उन्हें सहारा दिया। लेकिन बगल में बैठे राहुल गांधी इस नजारे को देखते रहे और मनमोहन सिंह को सहारा तक नहीं दिया। बता दें कि मनमोहन सिंह का सेहत खराब है और उम्र के ऐसे पड़ाव में हैं जहां पर उन्हें सहारे की सख्त जरूरत है।
स्मृति स्थल पर घटी यह घटना
आपको बता दें कि दरअसल शुक्रवार को देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार किया गया। इसमें देश के गणमान्य राजनेता अटल जी को अंतिम विदाई देने दिल्ली के स्मृति स्थल पहुंचे। इनमें कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। इनसबके बीच एक वाक्या घटित हुआ। जिसने एक सवाल खड़ा किया है कि क्या सिर्फ राजनीति के लिए ही मान-मर्यादा और सम्मान देने जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है?
इससे पहले राहुल ने भाजपा पर उठाया था सवाल
हालांकि यह वाक्या बेशक देखने में एक छोटा सा घटना प्रतीत हो रहा हो लेकिन इसके मायने बहुत बड़े हैं। अभी कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा था और अपने सभाओं में यह आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी और भाजपा अपने सीनियर नेताओं का सम्मान नहीं करती है। दरअसल एम्स में जब अटल जी भर्ती थे तब उनका हालचाल लेने राहुल गांधी अचानक पहुंच गए थे। इसके बाद भाजपा के अन्य नेता और प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे थे। इस बात को लेकर राहुल गांधी हमेशा कहते रहे कि अटल जी से मिलने के लिए सबसे पहले वे गए जबकि भाजपा नेताओं के पास समय नहीं है और वे लोग सिर्फ सम्मान देने का ढोंग करते हैं। लेकिन अब इस वाक्ये से ऐसा लगता है कि राजनीति में हरकोई सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहा है। उन्हें अपने और पराए दलों के बुजुर्ग नेताओं से कोई हमदर्दी नहीं है।
टूट रही हैं राजनीतिक मर्यादाएं
आपको बता दें कि देश की राजनीति में अब मर्यादाएं टूट रही हैं, मान और सम्मान को धत्ता बताकर सिर्फ राजनीतिक उल्लू सीधा किया जा रहा है। चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा या अन्य राष्ट्री और क्षेत्रीय पार्टियां सभी के सभी यह दावा करने से परहेज नहीं करते हैं कि वह निःस्वार्थ भाव से देश के लोगों की सेवा करते है। इसके अलावे वह यह भी कहते हुए नहीं थकते हैं कि अपने राजनीतिक पार्टी के पुरोधाओं को सम्मान देते हैं, इज्जत करते हैं। हालांकि अभी बीते दिन के इस दृश्य से देश के लोगों को राजनीतिक दलों के ये दावे सिर्फ खोखले लगने लगे हैं।
Published on:
18 Aug 2018 07:09 pm
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