
Flats Registration: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र के चार हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में फंसे लगभग 4200 फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री की प्रक्रिया रुक गई है। वजह ये है कि संबंधित बिल्डरों ने अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के तहत निर्धारित 25% रकम अब तक जमा नहीं की है। सुपरटेक के दो प्रोजेक्ट एनसीएलटी की प्रक्रिया में हैं। जबकि ओरिस और एसडीएस इंफ्रा ने कोर्ट से स्टे ले रखा है। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि यदि बिल्डर मुकदमे वापस लेकर बकाया राशि चुका देते हैं तो उन्हें सभी लाभ दिए जाएंगे। हालांकि अभी तक बिल्डरों की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
यीडा के एक अधिकारी ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में कुल 11 बिल्डर प्रोजेक्ट संचालित हैं। इनपर यीडा का करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए बकाया है। जो बिल्डर चुका नहीं पा रहे हैं। इसके समाधान के लिए पिछले साल सितंबर में सरकार ने अमिताभ कांत समिति की सिफारिशें लागू कीं। इस समिति की सिफारिश के तहत बिल्डरों को कुल बकाया राशि का 25 प्रतिशत जमा करने के बाद फ्लैटों की रजिस्ट्री शुरू करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि सरकार की इस पहल का लाभ सिर्फ सात बिल्डरों ने ही उठाया। इनमें ओमनिस डेवलपर, एटीएस रियलटी, सनवर्ल्ड, ग्रीनबे, लॉजिक्स बिल्ड स्टेट और दो सबलेसी, अजय रियलकॉन और स्टार सिटी शामिल हैं। वहीं, चार बिल्डर प्रोजेक्ट्स ने अब तक बकाया जमा नहीं किया है।
यीडा के सूत्रों ने बताया कि हाल ही में एसडीएस बिल्डर ने यमुना प्राधिकरण से अनुरोध किया था कि उन्हें भी अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के अनुसार ‘जीरो पीरियड’ का लाभ दिया जाए। इसपर प्राधिकरण ने बोर्ड मीटिंग में इसका प्रस्ताव रखा। बोर्ड बैठक में यह फैसला लिया गया कि यदि बिल्डर कोर्ट में लंबित मामला वापस ले लेता है और कुल बकाया राशि का 25% भुगतान कर देता है, तो उसे समिति के लाभ दिए जाएंगे।
प्राधिकरण के सूत्रों की मानें तो इस निर्णय से अन्य बिल्डरों के लिए भी रास्ता साफ हो सकता है, जो अब तक इस योजना से वंचित हैं। दरअसल, यमुना सिटी में एसडीएस को दो प्लॉट आवंटित किए गए हैं। एसडीएस हाउसिंग और एसडीएस इंफ्राकोन। इसपर प्राधिकरण के 742.31 करोड़ रुपये बकाया हैं। बिल्डर ने इसपर कोर्ट से स्टे ले रखा है।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि सेक्टर-22डी ओरिस डवलपर प्राइवेट लिमिटेड पर 918.84 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि सेक्टर-26ए एसडीएस इंफ्राकोन प्राइवेट लिमिटेड पर 742.31 करोड़ रुपये बकाया हैं। हालांकि इन दोनों पर कोर्ट का स्टे है। इसके अलावा सेक्टर-22डी सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लिमिटेड पर 784.39 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि सेक्टर-17ए सुपरटेक लिमिटेड पर 548.15 करोड़ रुपये बकाया हैं। इन दोनों के मामले एनसीएलटी के पास विचाराधीन हैं।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा "अमिताभ कांत समिति के तहत 11 में से सात बिल्डरों ने 25 प्रतिशत बकाया चुका दिया। चार बिल्डर प्रोजेक्ट ने अभी रकम जमा नहीं की, इनके खरीदारों के रजिस्ट्री अटकी है, प्राधिकरण इन बिल्डरों को सशर्त लाभ देने को तैयार है।" यानी इन बिल्डर्स को भी 25 प्रतिशत के तौर पर यमुना विकास प्राधिकरण को 748.42 करोड़ का भुगतान करना जरूरी है।
Published on:
03 Apr 2025 12:32 pm
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