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महाशिवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, रुद्राभिषेक का तरीका, शिव मंत्र, कथा, आरती और सभी जरूरी जानकारी यहां

Shivratri 2022 Puja Vidhi, Muhurat, Katha, Aarti: महाशिवरात्रि हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन शिव भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर शिव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। जानिए महाशिवरात्रि पर्व से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी यहां।

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महाशिवरात्रि पर्व की संपूर्ण पूजा विधि

महाशिवरात्रि पूजा विधि, मुहूर्त, व्रत कथा, आरती और मंत्र (Maha Shivratri 2022 Puja Vidhi, Timing, Katha, Aarti, Mantra): महाशिवरात्रि हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक शुभ और पावन त्योहार है। इस दिन लोग व्रत रख भगवान शिव की अराधना करते हैं। इस दिन कई लोग रुद्राभिषेक भी कराते हैं। कहते हैं जो भक्त इस दिन सच्चे मन और निष्ठा से भगवान शिव की भक्ति करता है उसकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। ये दिन मांगलिक कार्य के लिए उत्तम माना गया है। मान्यता है इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। जानिए महाशिवरात्रि पर्व की संपूर्ण पूजा विधि और मुहूर्त।

महाशिवरात्रि की सरल पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi):
-सबसे पहले शिव पूजा का संकल्प लें। यदि आप सुबह पूजा कर रहे हैं तो स्नान कर पूजा करें और अगर शाम को पूजा करेंगे तो शाम के समय स्नान कर महादेव की पूजा संकल्प लें।
-इसके बाद एक लोटा जल मंदिर में जाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद रोली, सिन्दूर, चावल, फल, फूल, जनेऊ, वस्त्र, धूप, दीप, सप्त धान्य, बेलपत्र, धतूरे के फूल, आंकड़े के फूल आदि सामग्री को एकत्रित कर लें और उसके बाद पंचामृत बनाकर रख लें।
-फिर विधि विधान पूजा करें। 108 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ कहकर सभी सामग्री भगवान शिव को अर्पित करें।
-इस दिन शिव मंत्रों का जाप जरूर करें। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन रुद्राष्टक,
शिवाष्टक और शिव स्तुति का पाठ जरूर करें।
-महाशिवरात्रि के पर्व पर बहुत से लोग चारों पहर की पूजा करते हैं। तो जो लोग भगवान शिव की चारों पहर की पूजा करना चाहते हैं उन्हें रात्रि के पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे पहर में घी और चौथे पहर में शहद से पूजन करना चाहिए। ध्यान रखें कि हर पहर में जल का प्रयोग अवश्य करें। ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कैसे करें महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक, इसके विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें

महाशिवरात्रि पर चारों पहर की पूजा का मुहूर्त (Mahashivratri 2022 Puja Muhurat):
सबसे शुभ मुहूर्त- 12:08 AM से 12:58 AM, मार्च 02
पहले पहर की पूजा का समय- 06:21 PM से 09:27 PM
दूसरे पहर की पूजा का समय- 09:27 PM से 12:33 AM, मार्च 02
तीसरे पहर की पूजा का समय- 12:33 AM से 03:39 AM, मार्च 02
चौथे पहर की पूजा का समय- 03:39 AM से 06:45 AM, मार्च 02
महाशिवरात्रि पारण समय- 06:45 AM, मार्च 02
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत- मार्च 01, 2022 को 03:16 AM बजे
चतुर्दशी तिथि की समाप्ति- मार्च 02, 2022 को 01:00 AM बजे
महाशिवरात्रि के दिन का पूजा पंचांग जानने के लिए यहां क्लिक करें

महाशिवरात्रि पर किस चीज से करें शिव का रुद्राभिषेक: रुद्राभिषेक यानि रुद्र का अभिषेक। भगवान शिव अर्थात शिवलिंग का जब स्नान कराया जाता है तो उसे रुद्राभिषेक कहते हैं। कहते हैं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त हो जाती है। लेकिन अक्सर लोग इस चीज को लेकर परेशान रहते हैं कि आखिर किस चीज से रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। जानिए किस मनोकामना की पूर्ति के लिए किस चीज से कराना चाहिए रुद्राभिषेक?

शिवजी के मंत्र:
-शिव गायत्री मंत्र
ओम तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
इसका जाप सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति के लिए करते हैं.

-पंचाक्षरी मंत्र
ओम नम: शिवाय

-महामृत्युंजय मंत्र
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

-शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

महाशिवरात्रि कथा: बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं। कहते हैं कोई भी व्रत बिना व्रत कथा के अधूरा माना जाता है। अगर आपने भी महाशिवरात्रि व्रत रखा है तो इस पर्व की इस पावन कथा को पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें। महाशिवरात्रि व्रत कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

शिव ज्योतिर्लिंग: महाशिवरात्रि के दिन शिव के मंदरों में भक्तों का तांता लग जाता है। कहते हैं जो भक्त इस दिन शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है उसके सारे काम बन जाते हैं। यहां आप घर बैठे शिव के सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

शिव जी की आरती:
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥
शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥१॥

कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।
शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥२॥

स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।
भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम् ॥३॥

जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥४॥

भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।
जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥५॥

अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।
निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥६॥

पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥७॥

अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।
मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥८॥

हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।
मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥९॥

नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।
विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥१०॥

प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।
विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात् ॥११॥