
नोएडा. प्रदेश का आईना कहे जाने वाले सबसे बड़े औद्योगिक नगर नोएडा में इन दिनों कूड़े पर कोहराम मचा हुआ है। इसकी मुखालफत करने वालों पर लाठीचार्ज करने और उन्हें जेल भेजने जैसी भी कार्रवाई भी हो चुकी है, लेकिन विरोध अब भी बरकरार है। इसी बीच 14 जून से सेक्टर-123 में बने सेनेटरी लैंडफिल साइट पर कूड़ा डालने का काम शुरू हो गया है। इस पूरे मसले पर पत्रिका संवाददाता ने नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा से बात की। इस दौरान आरके मिश्रा ने कहा कि जैसा प्रचारित किया जा रहा है सेक्टर-123 में बन रहा स्थल वह डंपिंग ग्राउंड नहीं है। वह सिर्फ सेनेटरी लैंडफिल साइट है। भविष्य में यहां 250 करोड़ की लागत से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि नोएडा के लोग घबराएं नहीं, प्राधिकरण किसी की सेहत और पर्यावरण को खराब नहीं होने देगा।
नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ राकेश कुमार मिश्रा ने बताया कि 2016 में भारत सरकार ने यह आदेश दिया था कि देश के सभी नगरीय निकाय कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था करेंगे। यह नगरीय निकायों के साथ ही उनका भी दायित्व होगा, जहां से कूड़ा निकलता है। उन्होंने बताया कि सेक्टर-123 में 25 एकड़ भूमि में कूड़े का नियोजन किया जाएगा। यह स्थान 2006 से इस काम के लिए नियोजित है।
उन्होंने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी सेक्टर-123 में इस काम को करने का आदेश दिया है। मिश्रा ने यह भी कहा कि सेक्टर-123 में डंपिंग ग्राउंड नहीं, सेनेटरी लैंडफिल साइट है। नियमानुसार इस पर कूड़ा डंप नहीं कर सकते हैं। यहां आने वाले कूड़े को वैज्ञानिक ढंग से निस्तारित किया जाएगा। इसके लिए कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है। आने वाले 10 दिनों में यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कूड़े के निस्तारण के बाद जो रेफ्यूज डेराइव फ्यूल (आरडीएफ) निकलेगा। उसे सीरम कंपनी को सप्लाई किया जाएगा और जो मिट्टी निकलेगी उसे आसपास के गड्ढों में भरा जाएगा। यानि कूड़ा यहां रहेगा ही नहीं। निस्तारण के बाद सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत ही कूड़ा बचेगा। उसे रखने के लिए अलग से लैंडफिल साइट की व्यवस्था की गई है। इस प्लान को आईआईटी दिल्ली के सहयोग से तैयार किया गया है। इसका टेंडर भी निकाला गया है।
मिश्रा ने आगे कहा कि सेक्टर-123 में लांग टर्म में वेस्ट टू एनर्जी या वेस्ट टू फ्यूल प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए कई देसी-विदेशी कंपनियां आई हैं। एक सवाल के जवाब में एसीईओ ने कहा कि बीते 40 साल से नोएडा का कूड़ा नोएडा में ही डाला जा रहा है, लेकिन आपको कहीं भी कूड़े का ढेर नहीं दिखाई देगा। पहले सेक्टर-138 में भी कूड़ा डाला जा रहा था, लेकिन वहां न तो बदबू आई और न ही किसी की सेहत को नुकसान हुआ। यह सिर्फ भ्रांतियां है, जिसे दूर करने के लिए लोगों से संपर्क किया जा रहा है।
एसीईओ ने कहा कि कुछ लोग हैं, जो सेक्टर-123 में बने सेनेटरी लैंडफिल साइट का विरोध कर रहे हैं। इस पर 18.50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। निकट भविष्य में इस पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया जाएगा। इस पर 250 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इतना पैसा खर्च करने के बाद भी अगर कूड़ा किसी की तकलीफ का सबब बना तो फिर पैसे लगाने की कोई सार्थकता नहीं होगी। कई एजेंसियां ऐसी हैं, जो इस प्रकार के क्रियाकलापों की मॉनिटरिंग करती हैं। इसलिए किसी को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
Published on:
16 Jun 2018 12:47 pm
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