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अखिलेश यादव के खास ये सपा नेता हो सकते हैं कैराना उपचुनाव में प्रत्याशी, शुरू किया क्षेत्र का दौरा

भाजपा से इस नेता का टिकट लगभग फाइनल, होगा कड़ा मुकाबला

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Akhilesh yadav

नोएडा। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली सफलता से उत्साहित समाजवादी पार्टी अब कैराना में भी जीत का स्वाद चखने के लिए लालायित है। वैसे तो सभी राजनीतिक दलों का निगाहें इस लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव पर हैं, लेकिन चूंकि समाजवादी पार्टी प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल है इसलिए वह सत्तारूढ़ भाजपा से यह सीट झटककर एक और झटका देना चाहती है।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खास डॉक्टर सुधीर पंवार को कैराना से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। विवादों से परे डॉक्टर पंवार ने क्षेत्र में सघन जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है। वहीं भाजपा से क्षेत्र के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का टिकट लगभग तय माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सपा किसी गुर्जर नेता को यहां से प्रत्याशी नहीं बनाएगी।

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हालांकि सपा इस सीट के लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश में है। इसलिए उसने बूथ स्तर की तैयारियां शुरू कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। इसके लिए पार्टी ने अपने से छिटक चुके अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं को रिझाने के लिए उसी समुदाय के नेताओं को चुनावी तैयारियों में लगा दिया है। इसके साथ ही बसपा के साथ गठबंधन को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है, वहीं प्रत्याशी के चयन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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प्रदेश में भाजपा विरोधी गठबंधन के सहयोग से चुनाव लड़ने के लिए राष्ट्रीय लोकदल मुखिया चौधरी अजित सिंह के पुत्र और मथुरा के पूर्व सांसद जयंत चौधरी ने भी बसपा मुखिया से मुलाकात की है। इस मुलाकात के पीछे अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि कैराना से जयंत चौधरी ने खुद को संयुक्त प्रत्याशी बनाने का आग्रह किया था। सूत्रों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो की ओर से फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है। इसके पीछे मुस्लिम मतदाताओं की रालोद से नाराजगी मानी जा रही है।

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दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद मुखिया चौधरी अजीत सिंह ने भाजपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें 5 सीटों पर जीत मिली थी। बाद में वे केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व यूपीए सरकार में शामिल हो गए थे। इसलिए मुस्लिम मतदाताओं को राष्ट्रीय लोकदल पर संदेह है। इसके अलावा राज्यसभा चुनाव में रालोद विधायक सहेंद्र ने बसपा का विरोध कर भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था।

साथ ही रालोद कार्यकर्ताओं और दलित मतदाताओं के बीच तनातनी के कारण भी बसपा नेतृत्व जयंत चौधरी को समर्थन देने में कई बार सोचेगा। दूसरी बात यह भी है कि आमतौर पर बसपा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारती है। ऐसे में वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन कर सकती है। विधानसभा परिषद चुनाव में सपा ने अपने हिस्से की एक सीट बसपा के साथ गठबंधन को मजबूत करने के लिए छोड़ दी थी।

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इसलिए सपा को बसपा द्वारा समर्थन की उम्मीद है। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है, इसके लिए बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत बनाया जा रहा है। कैराना संसदीय सीट में आने वाले पांचों विधानसभा क्षेत्रों के लिए दो-दो पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। यहां बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना है। इन पर्यवेक्षकों में ज्यादातर अति पिछड़ी जाति के नेताओं को तरजीह दी गई है।