
BSP says Bye-Bye to congress, but congress still waiting,SP chief left
नोएडा। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही दिग्गजों के चुनाव लड़ने के क्षेत्र पर भी चर्चा शुरू हो गई है। जैसे राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया (रालोद) अजित सिंह के मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने की हवा उड़ी हुई है। वैसे ही एक चर्चा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चल रही है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उतरने की संभावना
चर्चा है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती अगला लोकसभ चुनाव लड़ेंगी। राजनीतिक गलियारों में यह बात भी चल रही है कि मायावती इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से अपनी किस्मत आजमाएंगी। चर्चा है कि मायावती बुलंदशहर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। बुलंदशहर उनके पैतृक गांव बादलपुर के पास भी है। बताया जा रहा है कि मायावती के बुलंदशहर से लड़ने के कारण वेस्ट यूपी में बसपा को 2009 लोसकभा चुनाव जैसी सफलता मिल सकती है। उस आम चुनाव में बसपा को सबसे ज्यादा 21 सीटें मिली थीं। इसके अलावा यह भी तर्क दिया जा रहा है कि अब अकबरपुर सामान्य सीट हो गई है। इस वजह से वह वेस्ट यूपी का रुख कर सकती हैं।
पैतृक गांव है बादलपुर
बसपा सूत्रों के मुताबिक, बुलंदशहर से सटे हुए आगरा व हाथरस की लोकसभा सीटें आरक्षित हैं। इतना ही नहीं गौतमबुद्धनगर स्थित गांव बादलपुर मायावती का पैतृक गांव है। इसके साथ ही यहां से अगर वह चुनाव लड़ती हैं तो इसका असर बुलंदशहर के आसपास के जिलों जैसे अलीगढ़ , मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर पर भी पड़ेगा। पश्चिमी यूपी में इस समय नगीना, आगरा, बुलंदशहर, हाथरस आदि आरक्षित सीटें हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब मायावती को चुनाव लड़कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की जरूरत है। यह मौका भी अच्छा है क्योंकि नगर निगम चुनाव में बसपा ने अच्छा प्रदर्शन भी किया था।
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वेस्ट यूपी में छाई हुई है दलित राजनीति
यह भी बताया जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति को लेकर हाल ही में कई बार तूफान आया है। सहारनपुर का शब्बीपुर कांड हो या 2 अप्रैल का भारत बंद। पश्चिमी यूपी में इसका खासा असर देखने को मिला। इसके अलावा गुजरात के निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी भी मेरठ में दस्तक देकर यहां उठ रही दलित राजनीति में दखल दे चुके हैं।
2004 में लड़ा था पिछला लोकसभा चुनाव
आपको बता दें कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने पिछला लोकसभा चुनाव 2004 में अकबरपुर सीट से लड़ा था। उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। वह राज्यसभा और विधानपरिषद के रास्ते सदन तक पहुंचीं। इस बार अकबरपुर भी सामान्य सीट हो गई है तो डेढ़ दशक बाद इस तरह की चर्चा जोड़ने पकड़ने लगी है। इस बारे में बसपा नेता जोगिंदर अवाना का कहना है कि यह फैसला तो खुद बहन मायावती ही लेंगी। चर्चा चल रही है तो उसका वे कुछ नहीं कर सकते।
Published on:
18 Apr 2018 12:13 pm
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