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किसान आंदोलन : दिल्ली जाने के लिए चुने ये रास्ते, नहीं फंसेंगे जाम में नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर चिल्ला रेगुलेटर के पास बैठे किसानों ने थाली और ताली बजाकर विरोध प्रकट किया। इसी तरह दलित प्रेरणा स्थल पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भी विरोध जताया। किसानों ने कहा कि अपने मन की बात में प्रधानमंत्री 30 मिनट तक देश की जनता को संबोधित करते रहे। इस दौरान उन्होंने करोना वायरस, लॉकडाउन, निर्मल भारत अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, तेंदुआ और शेरों की आबादी, समुंद्र की सफाई और लोगों को भेजे गए पत्र का जिक्र तो अपने मन की बात में किया, लेकिन महीनेभर से चल रहे किसानों के आंदोलन पर वह चुप्पी साधे रहे। इस बात को लेकर किसान काफी नाराज़ हैं। उनका कहना है कि इस आंदोलन के दौरान कितने ही किसान मर गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के मन में इन किसानों के लिए एक शब्द भी नहीं था।
किसानों का कहना है कि थाली बनाने बजाने का उद्देश्य है कि कोरोना काल में जो मोदी जी ने हमसे थाली बजवाई थी और कहा था कि कोरोना भाग जाएगा। आज मोदी जी किसानों के जीवन में ऐसे काले क़ानूनों को लेकर आए, इससे उनका जीना दूभर हो गया है। इसलिए हम थाली बजाकर उन काले क़ानूनों को वापस लेने के लिए मोदी जी को कुंभकरण की नींद से जगा रहे हैं। हमारे 30 से 32 किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर डटे भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) से जुड़े किसानों ने ताली-थाली और शंख बजाकर विरोध किया। किसानों ने कहा कि पीएम को प्रदर्शनकारी किसानों से बात करनी चाहिए और इन काले कानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए। केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। क़ानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं।