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विक्रम संवत् 2075: इन राशि के लोगों के लिए ऐसा रहेगा हिंदू नव वर्ष 2018

18 मार्च 2018 से चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष विक्रम संवत् 2075 प्रारंभ होगा

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hindu nav varsh

नोएडा। 18 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही हैं। इसके साथ ही हिंदू नव वर्ष का भी आरंभ होगा। सेक्‍टर-44 में रहने वाले पंडित राम प्रवेश तिवारी ने बताया कि चैत्र नवरात्र के पहले द‌िन आद‌िशक्त‌ि प्रकट हुई थी। उनके कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्ट‌ि न‌िर्माण का काम शुरू क‌िया था, इसल‌िए चैत्र शुक्ल प्रत‌िपदा से ह‌िंदू नववर्ष शुरू होता है।

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विक्रम संवत् 2075 का होगा आरंभ

उनके अनुसार, 18 मार्च 2018 से चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष विक्रम संवत् 2075 प्रारंभ होगा। इस नवीन संवत्सर का नाम विरोधकृत होगा, जो रुद्रविंशतिका का 5वां संवत्सर है। विरोधकृत संवत्सर के शुरू होते ही नया आकाशीय मंत्रिमंडल भी सक्रिय हो जाएगा। उन्‍होंने कहा कि हिंदू पर्व/त्योहार, विवाह संस्कार, मुंडन, अनुष्ठान, गृह निर्माण आदि कार्य नव संवत्सर की तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं।

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राशियों पर प्रभाव

मेष : इस राशि के जातकों के लिए कार्य में सफलता मिल सकती है।
वृषभ : पंडित राम प्रवेश तिवारी के अनुसार, इन राशि वालों की उन्नति की राह आसान होगी। जल्‍द ही इनका प्रमोशन हो सकता है।
मिथुन : इस राशि के लोगों को अपने स्‍वास्‍थ्‍य पर देना होगा।
कर्क : इनको बिजनेस में समझदारी दिखाने की जरूरत है। ये व्‍यवसाय में समझदारी से निवेश करें।
सिंह : इन लोगों को शुभ कार्यों के मौके मिलेंगे।
कन्या : इस बार इनको खुशखबरी मिल सकती है। नौकरी में इन्‍हें प्रमोशन मिल सकता है।
तुला : इस राशि के जातकों को परेशानी होगी। इनके कार्य में रुकावट आ सकती है।
वृश्चिक : इन्‍हें यात्रा करने का मौका मिलेगा। व्यापार में उन्नति के पूरे आसार हैं।
धनु : शिक्षा में दिक्‍कत आ सकती है, जिससे इन्‍हें परेशानी होगी।
मकर : इस राशि के लोगों के यात्रा के प्रबल योग बन रहे हैं।
कुंभ : शत्रुओं से घबराने की जरूरत नहीं है। उन पर आपको विजय मिलेगी।
मीन : भवन आदि नए निर्माण की उम्मीद है।

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उज्‍जैन नगरी से हुई थी शुरुआत

भारतीय पंचांग और काल निर्धारण का आधार विक्रम संवत् है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी से हुई थी। यह कैलेंडर राजा विक्रमादित्य के शासन काल में जारी हुआ था, इसलिए इसे विक्रम संवत् के नाम से जाना जाता है। इसके हिसाब से ही हर साल नवरात्र के पहले दिन से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने जीत के बाद जब राज्यारोहण किया तब उन्होंने प्रजा के सभी तरह के कर्जों को माफ करने का ऐलान किया। इसके साथ ही उन्‍होंने नए भारतीय कैलेंडर को जारी किया, जिसे विक्रम संवत् नाम दिया गया। इसे ईसा पूर्व 57 में जारी किया गया। हिंदू नव वर्ष के साथ ही बसंत ऋतु के आगमन का संकेत मिलने लगता है।