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शराब कांड में बड़ा खुलासाः मरे हुए सांप-छिपकली मिलाकर बनाई गई थी शराब, जिसने ली 81 जान

सहारनुपर से मेरठ आने वाले ज्यादातर मरीजों का था ब्रेन डेड

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नोएडा

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lokesh verma

Feb 11, 2019

saharanpur

शराब कांड में बड़ा खुलासाः मरे हुए सांप-छिपकली मिलाकर बनाई गई थी शराब, जिसने ली 81 की जान

नोएडा. जहरीली शराब प्रकरण में अब तक 81 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि अभी तक ये खुलासा नहीं हो सकी है कि आखिर जहरीली शराब कहां से आर्इ थी। इस प्रकरण में सीआे देवबंद समेत करीब डेढ़ दर्जन अधिकारियों आैर कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है। लेकिन, आज तक भी ये सवाल बना हुआ है कि आखिर शराब में एेसा क्या मिलाया गया था, जिसने इतनी बड़ी संख्या में लोगाें को जान गंवानी पड़ी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शराब को अधिक नशीला बनाने के लिए उसमें यूरिया, आयोडेक्स, ऑक्सिटोसिन के साथ मरे हुए सांप और छिपकली तक मिलाए जाते हैं। वहीं इथाइल की जगह मिथाइल अल्कोहल का प्रयोग कर शराब बनाई जाती थी। विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादा मिथाइल अल्कोहल से ब्रेन डेड भी हो जाता है।

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जानकारों की मानें तो कम खर्च में ज्यादा मुनाफे का कारोबार करने वाले शराब को अधिक नशीला बनाने के लिए उसमें मरे हुए सांप और छिपकली तक मिला देते हैं। इतना ही नहीं इस शराब में भैंस का दूध निकालने में इस्तेमाल होने वाला ऑक्सिटॉक्सिन का इंजेक्शन, दर्द में इस्तेमाल होने वाली आयोडेक्स के अलावा यूरिया खाद भी मिला देते हैं। डॉक्टर डीके शर्मा ने बताया कि कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए माफिया ऑक्सिटॉक्सिन आदि का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि गुड़ या उसके शीरे में ऑक्सीटोसिन मिलाने से मिथाइल अल्कोहल बन जाता है। उनका कहना है कि मिथाइल अल्कोहल से ब्रेन डेड के अलावा शरीर के कर्इ हिस्से अपना काम करना बंद कर देते हैं और इससे व्यक्ति की मौत हो जाती है। वहीं इस धंधे से जुड़े कुछ लोगों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कई बार शराब को अधिक नशीला बनाने के लिए उसमें मरे सांप और छिपकली तक मिला दिए जाते हैं। मेरठ के सीएमआे डाॅ. राजकुमार ने बताया कि सहारनुपर से मेरठ आने वाले ज्यादातर मरीज भी बेहोश थे और उनका ब्रेन डेड था।

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क्या है इथाइल आैर मिथाइल

वहीं एक आबकारी विभाग के अधिकारी ने नाम प्रकाशित ने करने की शर्त पर बताया कि अल्कोहल दो प्रकार के होते है। इथाइल और मिथाइल। ये दोनों ही देखने में एक जैसे होते हैं। इसलिए इनकी पहचान केवल केमिकल रिएक्शन से ही हो सकती है। उन्होंने बताया कि इथाइल गन्ने से चीनी बनाते समय बाय प्रॉडेक्ट के रूप में बने शीरे से तैयार होता है। डिस्टलरी में बनाई जाने वाली पीने योग्य शराब में इथाइल का ही उपयोग होता है। इथाइल जितना शुद्ध होगा उतनी ही अच्छी क्वॉलिटी की शराब बनेगी। वहीं मिथाइल टैक्सटाइल फैक्ट्री में कपड़े तैयार करते समय बाय प्रॉडेक्ट के रूप में मिलता है। यह एक घातक जहर है। इसकी केवल दो-तीन बूंदें ही किसी की मौत के लिए काफी हैं। मिथाइल का प्रयोग अक्सर पेंट व थिनर बनाने में होता है।

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