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एम्बुलेंस में गर्भवती की मौत मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश, सात निजी अस्पतालों को नोटिस जारी

Highlights - 5 जून को एक गर्भवती महिला की मौत के मामले में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई - सात निजी अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सीएमओ को एफ़आईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए - डीएम सुहास एलवाई ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए जारी की गाइडलाइन्स

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नोएडा

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lokesh verma

Jun 10, 2020

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नोएडा. 5 जून को एक गर्भवती महिला की मौत के मामले में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। डीएम सुहास एलवाई ने जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) के पद पर तैनात डॉ. वंदना शर्मा को यहां से स्थानांतरित करने और स्टाफ नर्स राजबाला तथा वार्ड आया अनीता के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। इसके अलावा सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल, ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स, सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल समेत नोएडा और गाजियाबाद के निजी अस्पतालों के अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी माना है, जिनकी लापरवाही से महिला की जान चली गई। इस संबंध में सात निजी अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सीएमओ को उनके खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।

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जिलाधिकारी ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल इमरजेंसी की हालत में आने वाले किसी भी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं कर सकता। साथ ही कोविड-19 के नियमों के तहत निर्धारित प्रोटोकॉल का भी पूर्ण पालन करना होगा। यदि चिकित्सीय कारणों की वजह से मरीज को भर्ती करना संभव नहीं है और उसे रेफर किया जाना आवश्यक है तो ऐसी स्थिति में किसी भी अस्पताल में रेफर करने के लिए उस अस्पताल प्रबंधन के साथ समन्वय करना अनिवार्य है, ताकि मरीज और उसके परिजन को भटकना न पड़े। मरीज को उस अस्पताल में भर्ती कर तुरंत इलाज मिलेगा। इसकी जिम्मेदारी रेफर करने वाले अस्पताल की होगी।

वहीं, एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दो महिलाओं के इलाज में लापरवाही के मामले पर संज्ञान लेकर इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है कि उसने अस्पताल और जिम्मेदार अफ़सरों पर क्या कार्रवाई की? एनएचआरसी ने जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

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