13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शीतला अष्टमी 2018: संतान को निरोगी रखने के लिए इस दिन रखें व्रत और ऐसे करें पूजा

इस बार शीतलाष्‍टमी 9 मार्च यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि माता के पूजन से चेचक, खसरा जैसे संक्रामक रोगों का मुक्ति मिलती है।

2 min read
Google source verification
sheeta ashtami

नोएडा। होली के आठ दिन बाद शीतलाष्‍टमी का त्‍यौहार मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता का पूजन किया जाता है और व्रत रखा जाता है। इस बार शीतलाष्‍टमी 9 मार्च यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि माता के पूजन से चेचक, खसरा जैसे संक्रामक रोगों का मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से संतान भी निरोगी और सलामत रहती है। इस व्रत को बसौड़ा या बसियौड़ा भी कहा जाता है। इस दौरान श्रद्धालु बासी या ठंडा खाना खाते हैं।

CBSE Exam: इन छात्रों को बोर्ड ने दी विशेष राहत, परीक्षा केंद्र में ले जा सकते हैं यह सामान

शुभ मुहूर्त

पंडित बद्री नाथ शर्मा के मुताबिक, पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 06.41 से शाम 06.21 बजे तक है। अष्टमी तिथि 9 मार्च 2018 को प्रातः 3.44 बजे से प्रारंभ हो जाएगी, जिसका समापन 10 मार्च 2018 प्रातः 06 बजे होगा। मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना बंद कर दिया जाता है।

विक्रम संवत् 2075: इन राशि के लोगों के लिए ऐसा रहेगा हिंदू नव वर्ष 2018

मौसम बदलने से होता है संक्रामक रोगों का खतरा

उनका कहना है कि मौसम बदलने से चेचक जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए प्राचीन काल से ही शीतलाष्‍टमी का व्रत किया जाता रहा है। आयुर्वेद की भाषा में चेचक को शीतला कहा जाता है। इस पूजा में दाहज्‍वर, पीतज्‍वर और नेत्रों की समस्‍या दूर करने और निरोग रहने की प्रार्थना की जाती है।

जानिए कब है चैत्र नवरात्रि 2018 और क्‍या है घट स्‍थापना का शुभ मुहूर्त

ऐसे करें पूजा

पंडित बद्री नाथ शर्मा ने बताया कि शीतला देवी का वाहन गर्दभ है। यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं। इनका प्रतीकात्मक महत्व है। इस दिन श्रद्धालु दिन भर उपवास रखेंगे और शीतला माता की पूजा-अर्चना कर बासी भोजन का भोग लगाएंगे। शीतला अष्टमी को चूल्हा नहीं जलाने की परंपरा है। एक दिन पहले ही खाना बनाकर रख लिया जाता है। इसके बाद सुबह जल्दी उठकर शीतल माता की पूजा करने के बाद बसौड़े के तौर पर मीठे चावल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। कई लोग इस दिन शीतला माता के मंदिर जाकर हल्दी और बाजरे से पूजा भी करते हैं। पूजा के बाद बसौड़ा व्रत कथा कही जाती है। पूजा के बाद परिवार के सभी लोगों को प्रसाद देकर एक दिन पहले बनाया गया बासी भोजन खाया जाता है।

Holi Special : उत्तर प्रदेश के इस गांव में होलिका दहन होने पर झुलस जाते हैं भोलेनाथ के पांव