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नाले में आठ बच्चों के मिले कंकाल, 15 साल की किशोरी से बलात्कार… सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

नोएडा के सनसनीखेज निठारी हत्याकांड के प्रमुख आरोपी सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने खुली अदालत में संक्षिप्त सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया।

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सुप्रीम कोर्ट, PC- IANS

नोएडा के सनसनीखेज निठारी हत्याकांड के प्रमुख आरोपी सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने खुली अदालत में संक्षिप्त सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया। CJI ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि याचिका 'एक मिनट में विचारार्थ स्वीकार करने योग्य' है, जिससे कोली की रिहाई की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

यदि यह याचिका स्वीकार हो जाती है, तो कोली निठारी के बाकी सभी मामलों में पहले ही बरी हो चुके होने के कारण जेल से रिहा हो सकता है। यह मामला 2005-06 के उस भयावह सीरियल किलिंग्स से जुड़ा है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था।

मंगलवार की सुनवाई में बेंच ने कोली की दोषसिद्धि पर सवाल उठाए। CJI गवई ने कहा कि यह फैसला महज एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित था। इसके अलावा, कोली के अन्य 12 मामलों में बरी होने से 'असामान्य स्थिति' पैदा हो गई है। बेंच ने इन बिंदुओं पर गहन चर्चा की और फैसला सुरक्षित रख दिया।

यह क्यूरेटिव पिटीशन कोली ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर की थी, जो निठारी गांव में 15 साल की एक लड़की के बलात्कार और हत्या से जुड़ी है। कोली को इस मामले में दोषी ठहराया गया था और फरवरी 2007 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2011 में इस सजा को बरकरार रखा, जबकि 2014 में पुनर्विचार याचिका खारिज हो गई। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दया याचिका पर अत्यधिक देरी के कारण मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

2006 में खुलासा, अब रिहाई की आस?

निठारी कांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को हुआ, जब नोएडा के निठारी गांव में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल बरामद हुए। जांच में पता चला कि कोली और पंढेर ने कई मासूमों का अपहरण, बलात्कार और हत्या की। कोली को शुरुआत में 16 मामलों में मौत की सजा मिली थी।

लेकिन अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मामलों में कोली को और दो मामलों में पंढेर को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने 2017 की निचली अदालत की मौत की सजा को पलट दिया। सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने इन फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।

इसी साल कोली ने इस बचे हुए एक मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की, जो अब फैसले का इंतजार कर रही है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट की टिप्पणियां कोली के पक्ष में हैं, और यदि याचिका मंजूर हुई तो वह जेल से बाहर आ सकता है।