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Special Interview: इनसे सीखें! कभी जेब में नहीं होते थे पैसे, अब दिवाली पर गरीबों के घर कर रहे रोशन

locationनोएडाPublished: Nov 02, 2018 03:46:20 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

पत्रिका ने दिवाली पर समाजसेवी राजन श्रीवास्तव से खास बातचीत की।

rajan shrivastav

Special Interview: इनसे सीखें! कभी जेब में नहीं होते थे पैसे, अब दिवाली पर गरीबों के घर कर रहा रोशन

राहुल चौहान@Patrika.com

नोएडा। दिवाली और छठ का पर्व नवंबर के माह में मनाया जाना है। जिसके लिए जगह-जगह बाजार सज गए हैं और घरों पर जगमगाती लाइटें भी लग गई हैं। इस बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए दिवाली का त्योहार शायद ही उज्जवल होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो दिन भर काम करने के बाद भी दो दिन का खाना जुटाने में आसमर्थ रहते हैं। उनके लिए फिर कोई भी त्योहार हो, पहले दो वक्त का भोजन जुटाना हमेशा चुनौती बनी रहती है। ऐसे ही लोगों के लिए पिछले कई वर्षों समाजसेवी राजन श्रीवास्तव काम कर रहे हैं। पत्रिका ने उनसे खास बातचीत कर यह जाना कि जरूरतमंदों की इस दिवाली और छठ को वह किस तरह खास बनाएंगे।
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सवाल: आपने क्यों समाजसेवी बनने का फैसला किया?

जवाब: समाजसेवा कोई विचार आने के बाद नहीं की जाती। हमें लगाता है कि हम लोग समाज के अगृणी हैं और समाज से बहुत कुछ पाते हैं। जब हम सक्षम हो जाएं तो हमें समाज को भी कुछ देना चाहिए। जब मैं टूर पर होता था तो देखता था कि कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें खाना तक नहीं मिलता। इसलिए मैंने फैसला किया कि ऐसे लोगों की मदद की जाए जो जरूरतमंद हैं।
सवाल : जीवन में क्या चुनौतियां रहीं जिनका आपने डटकर सामना किया?

जवाब: अगर कोई भी काम करने जाओ तो कई चुनौतियां आती हैं और लोग कठनाई पैदा करते हैं। हालांकि अगर आपके मन में कुछ करने का विचार आ जाए और आप उस पर डटे रहते हैं तो उसे पूरा कर ही लेते हैं।
सवाल: आपके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?

जवाब: मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धी ये है कि आज मैं 5 रुपये में हर रोज लगभग 700 लोगों को खाना खिलाता हूं। दूसरी उपलब्धी है कि मैं गांव में जाकर उस बच्चियों को कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा दे रहा हूं जो शहर नहीं आ पाती। इसके साथ ही मैं निशुल्क ओपीडी भी चला रहा हूं जहां डॉक्टर गरीब लोगों का चेकअप करते हैं।
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सवाल: परिवार में कौन-कौन हैं, क्या कोई और भी समाजसेवा से जुड़ा है?

जवाब: मेरे माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका है, बाकि परिवार में दो बड़े भाई, एक छोटा भाई और एक बहन है जिन सभी की शादी हो चुकी है। मेरे परिवार से कोई और समाजसेवा नहीं करता लेकिन वह सभी मेरा सहयोग जरूर करते हैं।
सवाल: कोई ऐसा किस्सा जब किसी की मदद करने पर आपको बहुत खुशी हुई हो?

जवाब: मैं जब बचपन में हवाई जहाज उड़ते देखता तो बहुत अजीब सा लगता था। फिर जब मैं शहर में आया और दिव्यांग बच्चों के स्कूल में जाकर मिला तो उन्होंने कहा कि प्लेन में सफर करने का अनुभव कैसा होता होगा। जिसके बाद मैंने उनके लिए दिल्ली से जयपुर तक प्लेन में सफर कराया। इसके बाद जो बच्चों के चेहरे पर खुशी थी वह मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी थी और ये पल हमेशा याद रहेगा।
सवाल: किसे अपना रोल मॉडल समझते हैं जिनके आदर्शों का पालन करते हैं?

जवाब: हमारे रोल मॉडल हैं स्वामी विवेक आनंद जिन्हें मैं बहुत मानता हूं और उनके बताए गए रास्ते पर चलता हूं।
सवाल: जरूरतमंदों के दिवाली और छठ पर्व को कैसे खास बनाएंगे?

जवाब: दिवाली और छठ के चलते मैं अपने गांव मुजफ्फरपुर गया था। वहां मैंने दो-दो सीएफएल और छठवर्तियों को जरूरती सामान देकर आया हूं। इसके साथ ही नोएडा में दिवाली मिलन समारोह करने जा रहे हैं। जहां स्कूलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सम्मानित किया जाएगा।
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सवाल: लोगों की मदद करने के लिए फंडिंग कैसे होती है?

जवाब: लोगों की मदद के लिए हम जहां भी कैंप लगाते हैं तो उसके लिए लोग हमें डोनेशन देते हैं। इसके साथ ही लोग अपने खास दिन जैसे कि जन्मदिन, एनिवर्सिरी आदि पर हमें फंड देते हैं।
सवाल: दिवाली पर नोएडावासियों को क्या संदेश देंगे?

जवाब: मैं नोएडा और देशवासियों को संदेश देना चाहता हूं कि प्रदूषण रहित दिवाली मनाए। इसके साथ ही स्वदेशी सामान का ही प्रयोग करें। खुश रहें और खुशहाल रहें।
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