दरअसल, आतंकवाद के वित्तीय मदद पर निगाह रखने वाला पेरिस (Paris) बेस्ड ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया है। इस लिस्ट में शामिल होते ही पाकिस्तान को 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 27,80,93,50,00,000 रुपये का नुकसान हुआ है।
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वैसे पाकिस्तान साल 2008 से ही ग्रे लिस्ट में शामिल है। हालांकि ये लगातार इस लिस्ट से बाहर निकलने का प्रयास करता रहा है लेकिन आतंकियों को समर्थन करने कि वजह से ये कभी इस लिस्ट से बाहर नहीं हो पाया।
पाकिस्तान के एक स्वतंत्र थिंकटैंक ने दावा किया है कि इस लिस्ट में नाम आने कि वजह से देश तो तगड़ा आर्थिक झटका लगा है। ‘पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर FATF ग्रे-लिस्टिंग का प्रभाव’ नाम की रिपोर्ट में बताया गया है कि FATF द्वारा किए गए समीक्षा में पाया गया है कि पाकिस्तान 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान को पूरा करने में असमर्थ रहा है।
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रिपोर्ट के अनुसरा साल 2008 से 2019 तक FATF द्वारा पाकिस्तान की लगातार ग्रे-लिस्टिंग से देश की GDP को अब तक 38 बिलियन डॉलर यानी दो लाख 78 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।इसके साथ ही देश नें निर्यात और FDI का स्तर दोनों ही गिरा है।
रिपोर्ट में मुताबिक साल 2012 से 2015 के बीच पाकिस्तान को लगभग 13.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। लेकिन जब-जब पाकिस्तान FATF की लिस्ट से बाहर हुआ तो इसकी अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है।
रिपोर्ट में कहा है कि साल 2017 और 2018 में देश की अर्थव्यवस्था में हुए सुधार रहा था लेकिन पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल हो गया और इसकी वजह से साल 2019 में इसे 10.31 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अगर आगे भी ये लिस्ट में शामिल होता रहा तो इसके और घाटा होगा।