इस मामले में एडवोकेट राजपुरोहित जब पालनपुर से रिहा होकर पाली पहुंचे और बार एसोसिएशन पाली को हकीकत बताई तो वकीलों ने 1996 में कोतवाली में आइपीएस भट्ट के खिलाफ झूठा केस दर्ज करने के आरोप में मामला दर्ज कराया। दो माह तक पाली बंद रहा, दो दिन राजस्थान बंद रहा। रोज सुबह पाली के एडवोकेट अन्याय के खिलाफ धरने पर बैठे रहे। एडवोकेट व पूर्व सासंद पुष्प जैन, पीएम जोशी, रेवत सिंह केसरिया, भागीरथ सिंह राजपुरोहित सहित पूरी एडवोकेट एसोसिएशन व टीम छह माह तक हड़ताल पर रही। प्रदेश की बार काउन्सिल से देश की बार तक लड़ाई ले गए। पूरे प्रदेश में यह मुद्दा छाया रहा।
दुकान मालिक दुनिया में नहीं रहा पाली के वद्र्धमान मार्केट में दुकान नम्बर छह मोहनलाल जैन व पाली के एडवोकेट सुमेरपुर सिंह राजपुरोहित के भाई नृसिंह सिंह की भागीदारी में किराए पर ली हुई थी। यह दुकान तिलक नगर निवासी फुटरमल की थी। फुटरमल की भतीजी अमरी देवी गुजरात के तत्कालीन न्यायाधीश आरआर जैन की बहन थी। आरआर जैन ने गुजरात के बनासकांठा के तत्कालीन एसपी संजीव भट्ट से यह दुकान खाली करवाने के लिए सहायता करने को कहा। इस पर भट्ट ने साजिश रचते हुए एडवोकेट राजपुरोहित के नाम से 29 अप्रेल 1996 को पालनपुर के लाजवंती होटल में फर्जी एन्ट्री कर कमरा बुक किया। वहां से एक किलो अफीम बरामद बताई गई। इस मामले में एडवोकेट सुमेर सिंह ने पाली आकर मामला दर्ज कराया। इसमें फुटरमल की गिरफ्तारी हुई। हालांकि अब फुटरमल दुनिया में नहीं है।
मुझे भट्ट के सामने पेश किया तो माजरा समझ में आया एडवोकेट राजपुरोहित ने पत्रिका को बताया कि पाली से उन्हें अगवा कर ले जाने का प्रयास किया गया, लेकिन कोतवाली पुलिस ने उन्हें रोक दिया। रात में उन्हें गुजरात पुलिस के साथ रवाना किया गया। उन्हें तत्कालीन एसपी भट्ट के सामने गुजरात में पेश किया गया। इस पर भट्ट ने राजपुरोहित से दुकान खाली करने की बात कही। तब उन्हें माजरा समझ में आया कि इस फर्जी केस में इस वजह से फंसाया जा रहा है। राजपुरोहित ने अपने परिजनों से बात की। परिजनों ने दुकान मालिक फुटरमल से बात कर दुकान खाली करने का एग्रीमेंट किया। इसके साथ ही यह भी एग्रीमेंट किया कि दुकान खाली करने के बाद एडवोकेट को इस केस से भी बरी करवा दिया जाएगा। दोनों में समझौता होने पर राजपुरोहित को न्यायालय में पेश किया गया, जहां एक दिन न्यायिक अभिरक्षा में रहे। अगले दिन पालनपुर पुलिस ने कोर्ट में कहा कि राजपुरोहित यहां होटल में नहीं ठहरे थे, वे आरोपी नहीं है, उन्हें छोड़ दिया जाए, इस पर राजपुरोहित को इस केस में छोड़ दिया गया। यह न्याय की जीत है। 22 साल तक हमने लड़ाई लड़ी। कई उतार-चढ़ाव देखे। बार एकजुट रही, इसी का नतीजा है कि भट्ट की गिरफ्तारी हुई है।
(जैसा कि एडवोकेट सुमेरसिंह राजपुरोहित ने पत्रिका संवाददाता को बताया) सच की जीत यह न्याय की जीत है। सच परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं, यह इसका उदाहरण है। उस समय सभी एडवोकेट ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी, जो वाकई सराहनीय थी। वकीलों ने अपना काम नहीं किया, दो माह तक पाली बंद रहा, प्रदेश दो दिन बंद रहा। न्याय दिलाने की जिद थी। मैं भी इस हड़ताल का हिस्सा रहा, परिस्थितियां भी अलग थी, लेकिन सभी एकजुट रहे, आखिर झूठ को हारना पड़ा।
– पीएम जोशी, अध्यक्ष, बार एसोसिएशन, पाली कानून से ऊपर कोई नहीं कानून से ऊपर कोई नहीं है। चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी हो, झूठ को हारना पड़ा। यह जीत वकीलों की एकता, कानून की है। उस समय सभी एकजुट रहे, हर स्तर पर लड़ाई ले गए। सामने भी बड़े लोग थे, लेकिन आज भट्ट की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया कि सच जीतता है। मैं भी धरने में शामिल था, मुझे खुशी है। – पुष्प जैन, पूर्व सांसद व एडवोकेट