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Rajasthan: 23 साल से पत्नी को पति, तो बूढ़ी मां को बेटे का इंतजार, मजदूरी करने गया ‘राजू’ आज तक नहीं लौटा

कमला देवी कहती हैं कि मेरे तीन बेटे मजदूरी करने पाली गए थे, दो लौट आए, लेकिन राजू आज तक नहीं आया। हर बार लगता है कि दरवाजे पर दस्तक होगी और बेटा घर लौट आएगा, लेकिन ये इंतजार सालों में बदल गया।

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पाली

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Rakesh Mishra

Aug 10, 2025

pali news

पुलिस जीप- फाइल फोटो

समाज के बदलते दौर में जहां रिश्ते और संवेदनाएं अक्सर कमजोर पड़ जाती हैं, वहीं राजस्थान के पाली के सेंदड़ा क्षेत्र का एक परिवार आज भी 23 साल पुराने दर्द के साथ जी रहा है। ग्राम पंचायत के राजस्व गांव रामगढ़ सेड़ोतान के भाटियों का बाड़िया निवासी गीता देवी और उनकी सास कमला देवी की जिंदगी इंतजार के उस सफर में ठहर गई है, जो 13 दिसंबर 2002 से शुरू हुआ था और अब खत्म नहीं हुआ।

गीता देवी का पति और कमला देवी का बेटा राजू सिंह भाटी पाली शहर में मजदूरी करने गया था, लेकिन फिर कभी घर नहीं लौटा। परिजनों ने पाली में हर जगह तलाश की, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अंतत: कमला देवी ने सेंदड़ा थाना पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करवाई जो आज भी रोजनामचे के क्रम संया 390 पर दर्ज है।

घर की कमजोर आर्थिक स्थिति

कमला देवी कहती हैं कि मेरे तीन बेटे मजदूरी करने पाली गए थे, दो लौट आए, लेकिन राजू आज तक नहीं आया। हर बार लगता है कि दरवाजे पर दस्तक होगी और बेटा घर लौट आएगा, लेकिन ये इंतजार सालों में बदल गया। गीता देवी के लिए यह इंतजार और भी कठिन है। पति की गैरमौजूदगी और घर की कमजोर आर्थिक स्थिति ने जीवन को संघर्षमय बना दिया है। सरकारी रिकॉर्ड में पति को जीवित मानने के कारण उन्हें विधवा पेंशन सहित किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सामाजिक संवेदना का सवाल

यह मामला केवल एक परिवार का निजी दु:ख नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन के सामने एक गंभीर प्रश्न भी है। क्या 22 साल बाद भी गुमशुदगी के मामलों में परिजनों को ऐसे ही अनिश्चितता और पीड़ा में जीना पड़ेगा क्या ऐसे मामलों में राहत और पुनर्वास के लिए ठोस नीतियां नहीं होनी चाहिए?

राजू सिंह की बूढ़ी मां और बेबस पत्नी का इंतजार अब संवेदनाओं की परख बन चुका है। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि गुमशुदगी सिर्फ एक पुलिस केस नहीं, बल्कि पूरे परिवार के जीवन पर स्थायी घाव छोड़ जाती है, परिजन ने प्रशासन से मदद की गुहार की है।

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इन्होंने कहा

परिवादी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट वर्ष 2002 में दर्ज करवाई थी, जो रोजनामचे में ही दर्ज हुई थी। उस समय परिवादी को स्वयं के स्तर पर भी तलाश करने की सलाह दी गई थी। इतने लंबे समय के बाद भी परिवादी ने पुलिस से दुबारा संपर्क कर वर्तमान स्थिति की जानकारी नहीं दी, जिससे मामले में आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी।
रामकिशन, थानाधिकारी, सेंदड़ा

मामले की संपूर्ण जानकारी उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर उनके मार्गदर्शन अनुसार मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
रतनसिंह भाटी, सरपंच, सेंदड़ा