
बांग्लादेश में बच्चियों के प्रति यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। (Representative Photo: Patrika)
Bangladesh Minor Girl Rape Cases: देश में जब राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनता है और लंबे समय तक खींच जाता हो तो वहां नैतिकता और अनैतिकता के सवाल बेमानी हो जाते हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता में रहने और उनके बेदखल किए जाने और उनके देश छोड़कर भारत में शरण लेने के बाद स्थितियां लगातार खराब होती चली जा रही हैं। बांग्लादेश में बच्चों के मामले में बर्बरता और क्रूरता नए मानक स्थापित कर रहा है।
बांग्लादेश का मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठन एक ऐन ओ सलिश केंद्र (Ain o Salish Kendra) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले सात महीनों में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बच्चों के बलात्कार के मामलों में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि में बलात्कार की शिकार 306 लड़कियों में से 40 बच्चियां मात्र छह वर्ष तक की थीं। इनमें से 94 बच्चियों की उम्र 7 से 12 वर्ष के बीच थी और 103 किशोरियां यानी 18 वर्ष से कम आयु की थीं।
एशिया के अन्य मुल्कों की तरह बलात्कार के मामले बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में भी रिपोर्ट नहीं की जाती है। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि परिवारों के भीतर बाल यौन शोषण आम है। मदरसों और छात्रावासों में लड़कों के साथ कुकर्म की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं पर पुलिस में रिपोर्ट नहीं की जाती। एएसके ने इस वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान 7 से 12 वर्ष की आयु के 30 ऐसे मामलों की रिपोर्ट की है।
एएसके की रिपोर्ट के अनुसार, 306 घटनाओं में से सिर्फ 251 के मामले ही पुलिस में दर्ज किए गए। हालांकि अगर मामले दर्ज भी हो जाएं या अपराधियों की गिरफ्तारी भी हो जाए तो भी न्याय मिलने की कोई गारंटी नहीं है। बलात्कार को अंजाम देने वाले ज़्यादातर लोग पैसे, राजनीतिक रसूख या व्यवस्था की किसी खामी का फायदा उठाकर ज़मानत पर छूट जाते हैं।
बांग्लादेश के मगुरा में आठ साल की एक बच्ची के साथ उसकी बड़ी बहन (जो खुद एक बाल वधू है) के ससुर ने बलात्कार कर उसे जान से मार डाला। यह बताया जा रहा है कि बड़ी बहन की सास और पति ने बलात्कार के लिए उकसाया था। इस मसले पर देशभर में छात्र और अन्य संगठनों ने काफी प्रदर्शन किया। बलात्कारी को मौत की सजा सुनाई गई। एक दूसरी घटना में एक नौ साल की बच्ची का शव एक मस्जिद में पाया गया। बच्ची मसिजद में कुरान का अध्ययन कर रही थी तभी मस्जिद के इमाम और मुअज़्ज़िन ने मिलकर उसका बलात्कार किया और सबूत मिटाने के लिए उसकी जान ले ली।
न्याय पाने की पूरी प्रक्रिया बहुत लंबी और लचर है। आर्थिक रूप से कमजोर मां और बाप इसलिए न्याय की लड़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं या उस रास्ते पर चलना ही नहीं शुरू करते हैं। न्याय पाने की लड़ाई अपमानजनक होने के चलते भी मां-बाप चुप्पी साध लेते हैं। मगुरा बलात्कार और हत्या मामले में अपराधी को तीन हफ़्तों में सज़ा सुनाई गई लेकिन हजारों दूसरे मामलों का के सुलझने में सालों लग जा रहे हैं। इसके चलते यौन अपराधियों को यह विश्वास हो चला है कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा।
Bangladesh's World Happiness Index ranking: देश में राजनीतिक अस्थिरता के बढ़ने और लड़के और लड़कियों के प्रति यौन अपराधों में आ रही तेजी के चलते हैप्पीनेस इंडेक्स रैकिंग में भी काफी गिरावट दर्ज की गई है। पिछले पांच वर्षों में बांग्लादेश की विश्व प्रसन्नता सूचकांक रैंकिंग में लगातार गिरावट देखी जा रही है। बांग्लादेश 2025 में 134वां, 2024 में 129वां, 2023 में 118वां और 2022 में 94वां स्थान से गिरकर 2023 में 118वें स्थान पर पहुंच गया।
Updated on:
28 Aug 2025 03:03 pm
Published on:
28 Aug 2025 03:02 pm
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