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42 साल पहले का वो गाना, जिसे सुनकर आज भी भर आएंगी मां-बाप की आंखें

Bollywood Farewell Song: 1983 में रिलीज हुई फिल्म 'अर्पण' का 'लिखने वाले ने लिख डाले...', गाना आज भी शादियों में बजता है। 40 साल बाद भी आनंद बख्शी द्वारा लिखा गया ये दर्द भरा गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना 80 के दशक में था। आइये जानते हैं इस गाने के बारे में।

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मुंबई

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Rashi Sharma

Sep 05, 2025

Parveen Babi in Bollywood Farewell Song

अर्पण गाने के एक सीन में परवीन बाबी। (फोटो सोर्स: X)

Bollywood Farewell Song: कहते हैं संगीत भगवान की वो देन है जो इंसान के सुख-दुःख, प्यार-जुदाई, शादी-अलगाव, हर पल का साथ बनता है। हम दुखी होते हैं तो दर्द भरे गीत सुनते हैं, प्यार में होते हैं तो रोमांटिक गीत सुनते हैं, वहीं जब खुश का मौका होता है तो मस्ती भरे और डांस वाले गाने सुनते हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का गोल्डन एरा हो या आज के दौर का बॉलीवुड में हर जॉनर के गाने बने हैं। ऐसा ही एक गाना है, जो आज से 42 साल पहले आया था। फिल्म का नाम था 'अर्पण'। ये फिल्म 1983 में रिलीज हुई थी। फिल्म में जितेंद्र, परवीन बाबी, रीना रॉय और राज बब्बर मुख्य भूमिकाओं में नजर आये थे।

कौन सा है वो बॉलीवुड का विदाई गीत? (Bollywood Farewell Song)

वैसे तो इस फिल्म के सारे गाने 'तौबा कैसे हैं नादान घुंघरू पायल के', 'मोहब्बत अब तिजारत बन गई है', परदेस जाके परदेसिया, जैसे गीत ऑल टाइम हिट सॉन्ग्स हैं। आज भी इसको सुनकर मन तरोताजा हो जाता है। आपको बात दें फिल्म का म्यूजिक, संगीत की दुनिया की जानी-मानी जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था। और फिल्म के गानों को स्वर कोकिला लता मंगेशकर, किशोर कुमार, सुरेश वाडेकर और अनवर ने अपनी आवाज दी है। इसी फिल्म का 'लिखने वाले ने लिख डाले, मिलन के साथ बिछोड़े...' एक ऐसा गाना है जिसको सुनकर आंखें भर आती हैं। ये गाना आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस वक्त था।

गाने के बोल कुछ ऐसे हैं:

लिखने वाले ने लिख डाले
मिलन के साथ बिछोड़े
अस्सा हुंण टुर जाणा ए
दिन रह गये थोड़े

मुश्किल है इस शहर से जाना
फिर जाने कब होगा आना
याद ना आना भूल ना जाना
ये दिल कैसा है दीवाना
चार दिनों में इसने कितने
रिश्ते नाते जोड़े

इस गाने के बोल आनंद बख्शी साहब ने लिखे हैं। गाने को सुनकर ऐसा लगता है मानो उन्होंने अपनी कलम से एक लड़की के दिल की सारी भावनाएं निकाल कर रख दीं थी। गाने का फिल्मांकन परवीन बाबी और जितेंद्र पर किया गया था। गाने का सीन कुछ यूं था, सोना (परवीन बाबी) स्टेज पर परफॉर्म करने पहुंचती है, मगर उसका दिल टूटा हुआ है, क्योंकि वो अनिल (जितेंद्र) से प्यार करती है। जैसे ही वो गाना शुरू करती हैं, सामने बैठे अनिल की आंखों में आंसू भर आते हैं।

क्यों इतना लोकप्रिय है ये गाना

फिल्म 1983 की फिल्म अर्पण का ये गाना हर शख्स के दिल को छू जाता है, जो किसी से जुदाई का दर्द सह रहा है, किसी लड़की की विदाई हो रही है और वो अपने परिवार से दूर जा रही है। इस गाने के बारे में ये भी कहा जाता है कि 80 के दशक का वो दौर जब ये फिल्म रिलीज हुई थी उस दौर में शादियों का सबसे अहम हिस्सा बन चुका था ये गीत। जब बेटी घर से विदा होती थीं और घर का माहौल इस गाने के साथ और भी भावुक हो जाता था। वहीं कुछ लोग तो ऐसी सिचुएशन में इस गाने को सुन भी नहीं पाते थे।

आज भी प्रासंगिक है ये गाना

भले ही अब समय बदल चुका है और म्यूजिक में ओरिजिनल वाद्य यंत्रों की जगह टेक्नोलॉजी ने ले ली है। वहीं डीजे और नए गानों ने अपनी जगह बना ली है, लेकिन 42 साल बाद भी 'अर्पण’ फिल्म का ये गाना आज भी शादियों में बजता है। बॉलीवुड के हिट गानों की लिस्ट हो या शादी सॉन्ग्स का मैशअप कहीं न कहीं इस गाने की गूंज सुनाई दे ही जाती है। आप इस गाने को यूट्यूब, या किसी भी म्यूजिक ऐप पर आसानी से सुन सकते हैं।

इस गीत के बारे में ये कहना गलत नहीं होगा कि उस दौर में भी इस गीत ने हर माता-पिता के दिल को छुआ था और 42 साल बाद भी इसके इमोशंस लोगों की आंखों में आंसू ले आते हैं।