
Safest Way to Remove Earwax : ईएनटी डॉक्टर ने बताया कान के मैल को हटाने का सही और सुरक्षित तरीका, ये तरीके हो सकते हैं खतरनाक (फोटो सोर्स : Freepik)
How to Remove Earwax : ईयर वैक्स या कान का मैल। कई लोगों को इससे घिन आती है लेकिन सच तो यह है कि कान का मैल हमारे शरीर से निकलने वाला एक ऐसा प्राकृतिक स्त्राव है जिसका एक महत्वपूर्ण काम होता है इसलिए इसे साफ रखना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आपको गंभीरता से लेना चाहिए। कान का मैल एक ऐसा पदार्थ है जो कान के भीतर मौजूद ग्रंथियों से पैदा होता है और इसके कई काम होते हैं जैसे यह हमारे कान को साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह कर्ण नलिकाओं के ऊपर जमी परत को सूखने या उनमें दरार पड़ने से रोकता है। यह कान को धूल कणों और पानी से बचाता है जिस से संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है। ज्यादातर समय हमारी कर्ण नलिकाएं खुद ही अपनी सफाई कर लेती है। सीनियर ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, लेकिन यह जानना बेहद जरुरी है तो कान का मैल (Earwax) कब समस्या बन जाता है।
जब हम बोलते हैं, कुछ चबाते हैं, अपने जबड़े को घुमाते हैं तो यह ईयर वैक्स (Earwax) और त्वचा की कोशिकाएं धीरे-धीरे कान के परदे से कान के बाहरी छेद की ओर बढ़ती है जहां यह सामान्य तौर पर सूख कर बाहर निकल जाती है। ईयर वैक्स या कान का मैल सामान्य तौर पर कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर यह ज्यादा मात्रा में बनने लगे तो यह ऐसा अवरोधक बन सकता है जिससे कान में दर्द हो सकता है या फिर कुछ मामलों में सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, बाजार में ऐसी कई चीजे मिलती है जो यह वादा करती है कि इनके इस्तेमाल से कान का वैक्स साफ किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इन उत्पादों से क्या वाकई मदद मिलती है।
जब हम अपने कान को उंगलियों से साफ करने की कोशिश करते हैं तो अक्सर ही समस्याएं पैदा हो जाती है। रुई के फाहे से साफ करना तो और जोखिम भरा है हालांकि बहुत से लोग इसका इसी मकसद से इस्तेमाल करते हैं लेकिन रुई के फाहे बनाने वाली कंपनियां चेतावनी देती है कि इसका इस्तेमाल कर्ण नलिकाओं को साफ करने में ना करें। अगली बार जब इसे इस्तेमाल करने को लेकर आपका दिल मचले तो एक बार इसकी पैकिंग के लेवल पर लिखा संदेश जरूर पढ़ें।
डॉ. पांडेय ने कहा, हालांकि पहली नजर में यह ऐसी चीज लगती है जिससे किसी नुकसान का अनुमान नहीं होता। मुमकिन है कि कॉटन के उसे पैक पर आपको यह लिखा मिले की रुई के फाहों को कर्ण नलिकाओं में नहीं डालना चाहिए। जब हम इसका इस्तेमाल करते हैं तो दरअसल होता यह है कि हम ईयर वैक्स को कान के और भीतर धकेल देते हैं। यह कान के उन हिस्सों से चिपक सकता है जो खुद की सफाई में सक्षम नहीं होते। ईयर वैक्स में कान के बाहर की तरफ से ऐसे बैक्टीरिया हो सकते हैं जो संक्रमण की वजह बन सकते हैं।
रुई के फाहों से कान का मैल साफ करने का एक नतीजा यह भी हो सकता है कि ऐसा करने पर कान की अंदरूनी त्वचा में एक तरह की जलन पैदा हो सकती है जिससे बार-बार उसे हिस्से को छूने का मन करे। कुछ मामलों में अगर रुई कि ये फाहे अगर ज्यादा गहराई में पहुंच जाए तो इसे कान का पर्दा फट सकता है, अचानक दर्द बढ़ सकता है, खून निकल सकता है और अस्थाई तौर पर सुनने की क्षमता कम हो सकती है।
जो लोग कान के मैल से छुटकारा पाना चाहते हैं उनके लिए इयर कैंडल जैसा एक प्रोडक्ट भी बाजार में मिलता है। यह दावा किया जाता है कि इसके इस्तेमाल से कान का मैल और अन्य अशुद्धियां साफ हो सकती है लेकिन शोध से पता चला है कि ईयर कैंडल्स कान का मैल साफ करने में असरदार नहीं है और इससे खतरा हो सकता है, इससे कान और चेहरा जल सकता है, इससे मोमबत्ती का वैक्स कर्ण नलिकाओं तक पहुंच सकता है और कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है।
बहुत से लोग इयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल कान साफ करने के लिए पहले विकल्प के तौर पर करते हैं। यह इयर ड्रॉप्स कान के मैल को इतना नरम कर देते हैं कि यह खुद ही बाहर निकलने लगता है। बाजार में कई तरह के इयर ड्रॉप्स मिलते हैं। यह जिन चीजों को मिलाकर तैयार किया जाता है उनमे हाइड्रोजन पराक्साइड, सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम क्लोराइड जैसी चीज होती हैं। हालांकि यह ड्रॉप्स प्रभावशाली हो सकते हैं लेकिन कुछ मामलों में संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में इसके इस्तेमाल से जलन की समस्या देखी गई है,
डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, इसके बदले जैतून और बादाम के तेल की बूंदे अन्य महंगे कमर्शियल प्रोडक्ट की तरह ही असरदार मानी जाती है।
अगर आपको ईयर वैक्स की लगातार समस्या रहती है तो मुमकिन है कि आपका डॉक्टर आपको अपने कान की पानी से सफाई करने का सुझाव दे। मेडिकल साइंस में इस तरीके को सिरिंजिंग भी कहते हैं। इस तकनीक में कान का मैल साफ करने के लिए एक सिरिंज के जरिए कर्ण नलिकाओं पर पानी की फुहार डाली जाती है। हालांकि इस तरीके से साफ तो हो सकता है लेकिन कुछ मामलों में यह तकलीफ देय साबित हो सकता है और यहां तक की कान के पर्दे भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
इस प्रक्रिया को स्वयं इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है, इसके लिए किसी अनुभवी विशेषज्ञ की ही सहायता लें।
ईयर वैक्स से परेशान मरीजों के लिए कुछ मेडिकल क्लीनिक माइक्रो सक्शन का रास्ता भी चुनते हैं। इस प्रक्रिया में स्पेशलिस्ट डॉक्टर कान के भीतर का हाल देखने के लिए माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं और छोटे से औजार के जरिए उसे खींच लिया जाता है। डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, यह तरीका काफी सुरक्षित माना जाता है और कान से नियमित रूप से होने वाले स्राव के मामले में असरदार भी है।
Updated on:
13 Aug 2025 08:01 am
Published on:
12 Aug 2025 02:11 pm
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