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Good News : सरसों से संवर रही भरतपुर की तकदीर, किसानों की हुई बल्ले-बल्ले, बुवाई में राजस्थान में दूसरे नंबर पर आया

Good News : त्योहारी सीजन से पहले आई अच्छी खबर। किसानों की हुई बल्ले-बल्ले। सरसों की फसल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। इस सरसों से संवर रही भरतपुर की तकदीर। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट।

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Good News Bharatpur Fortunes are improving due to Mustard Farmers are doing very well Oil is being Extracted in Large Quantities Ranked second in Rajasthan in sowing

ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Good News : सरसों की पैदावार भरतपुर की तकदीर को संवार रही है। सरसों पर आधारित उद्योग धंधे यहां की बेरोजगारी को भी मिटा रहे हैं। यही वजह है कि भरतपुर ने भी अपने कदम सरसों को साधने की ओर बढ़ा दिए हैं। पिछले एक दशक की बात करें जिले में सरसों का रकबा 50 हजार हैक्टेयर तक बढ़ गया है।

पिछले तीन-चार साल की बात करें तो सरसों की फसल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। इसकी वजह यह है कई क्षेत्रों में सिंचाई के पानी की कमी के चलते लोग गेहूं की बुवाई नहीं कर पाते हैं। उनके पास विकल्प के रूप में सरसों की खेती ही बचती है। पिछले कई वर्षों में सरसों के भावों में भी खूब उछाल आया है। ऐसे में किसानों का भरोसा सरसों पर बढ़ गया है। किसानों ने खेती का तौर-तरीका भी बदला है। इसके चलते प्रदेश में भरतपुर में सरसों की बुवाई दूसरे नंबर पर हो रही है। खास बात यह है कि भरतपुर संभाग (अलवर सहित) प्रदेश में सरसों का 25 प्रतिशत उत्पादन करता है।

सरसों में बढ़ रही तेल की मात्रा

वर्तमान में भरतपुर और डीग जिले को मिलाकर करीब 2 लाख 62 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुवाई हो रही है, जो पिछले कई साल में 2 लाख 25 हजार हैक्टेयर तक सिमटी थी। प्रति हैक्टेयर उत्पादन की बात करें तो यह 18 क्विंटल तक पहुंच गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अब तक किसान जिप्सम को खेती में तवज्जो दे रहे थे। पिछले तीन वर्षों में सिंगल सुपर फास्फेट को किसानों ने अपनाया है। इससे तेल की मात्रा बढ़ी है और उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बारिश देरी तक रहने के कारण नमी भी अच्छी मिल रही है।

सरसों अनुसंधान केन्द्र ने भी संवारी सूरत

देश में सरसों अनुसंधान केन्द्र भी स्थापना भरतपुर में है। अनुसंधान केन्द्र ने सरसों की गिर्राज सहित अन्य बढ़िया किस्म विकसित की है। यह किसानों को खूब रास आ रही है। साथ ही उन्नत किस्म के बीज भी किसानों को मिल रहे हैं। इससे सरसों की पौध लंबी हो रही है। प्रदेश में सरसों उत्पादन की बात करें तो अलवर-भरतपुर करीब-करीब समान रूप से उत्पादन कर रहे हैं, जबकि श्रीगंगानगर का प्रदेश में तीसरा नंबर है। इसमें अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर एवं सवाई माधोपुर जिले शामिल हैं। यह पांच जिले पूरे प्रदेश की 25 प्रतिशत सरसों का उत्पादन करते हैं।

भरतपुर संभाग में सरसों बुवाई क्षेत्रफल 2024-25

जिला - बुवाई क्षेत्रफल
अलवर 144097
भरतपुर 152011
डीग 114372
धौलपुर 73277
करौली 64210
गंगापुरसिटी 115700
सवाईमाधोपुर 106530
कुल क्षेत्रफल - 770197

बड़े उद्योगपतियों ने बिगाड़ा गणित

भरतपुर सरसों तेल उत्पादन के मामले में सिरमौर है, लेकिन पिछले दो साल से इसमें गिरावट आई है। इसकी वजह है कि इस धंधे में कुछ बड़े ग्रुप आ गए हैं, जो मार्केट को अपने हिसाब से कंट्रोल कर रहे हैं और अपने हिसाब से चला रहे हैं। ऐसे में छोटे व्यापारियों को इसमें नुकसान झेलना पड़ रहा है और मिलें बंद हो रही हैं। सरसों की आवक की बात करें तो यहां तेल मिलें चलाने के लिए एक लाख कट्टे प्रतिदिन चाहिए, जबकि इसके मुकाबले कम कट्टे ही मिल पा रहे हैं।