
चिराग पासवान। (फोटो सोर्स : एक्स चिराग)
Bihar Election2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है। जदयू (JDU) विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में नजर आएगी। जदयू के हिस्से 102 सीटें, बीजेपी (BJP) 101, लोजपा (रा) 20, हम और रालोम को 10-10 सीटें आई हैं। सीट शेयरिंग में चिराग पासवान की उम्मीदों पर पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पुलाव जब धीमी आंच पर पक रही थी, तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल चिराग पासवान की पार्टी 50 सीटों की डिमांड कर रही थी। लोजपा के नेता 50 सीटों से कम को स्वाभिमान से समझौता बता रहे थे, लेकिन अब NDA में पार्टी के हिस्से आधी से भी कम 20 सीटें आई हैं, लेकिन अब सियासी गलियारों में एक बार फिर चर्चा उठ रही है कि क्या चिराग 20 सीटों पर मान जाएंगे या फिर बगावत कर सकते हैं। उनका पुराना इतिहास भी बगावत की गवाही दे रहा है।
जमुई से सांसद व चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती ने X पर लिखा था कि चिराग को अब बिहार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ताओं में ये भावना है कि वो आरक्षित सीट से नहीं बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ें। इससे पहले बिहार प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी चिराग पासवान के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की मांग का प्रस्ताव पारित किया था।
आरा के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में चुनावी बिगुल फूंकते हुए लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने कहा था कि बिहार की जनता ही मेरा परिवार है। अब यह फैसला भी बिहार की जनता को ही लेना है कि मैं कहां से विधानसभा चुनाव लड़ूं। प्रदेश की जनता मुझे जहां से चुनाव लड़ने कहेगी, मैं वहां से चुनाव लड़ूंगा। मैं विधायक बनकर जनता का प्रतिनिधित्व करूंगा। मैं 243 सीटों से चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने कहा कि सत्ता या पद मायने नहीं रखता, केवल बिहारी मायने रखते हैं।
चिराग पासवान के बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ खट्टे मीठे रिश्ते रहे हैं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा था। लोजपा ने जदयू को 35 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। जिससे जदयू की सीटें घटकर 43 पर आ गई थीं। कुछ दिनों पहले तक वह राज्य के कानून व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठा चुके हैं।
प्रशांत किशोर ने चिराग के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद उन्हें सलाह दी थी। प्रशांत, चिराग पासवान को निजी तौर पर अपना मित्र बताते हैं। पीके ने कहा कि अगर उन्हें बिहार में बड़ी भूमिका निभानी है तो मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देना होगा। पीके ने कहा कि चिराग मेरे मित्र हैं। हम उनके लिए अच्छी बात बोलते हैं। बिहार की राजनीति में उन्हें तब सीरियसली लिया जाएगा, जब वह केंद्र की राजनीति छोड़कर राज्य की राजनीति में आएंगे।
Published on:
28 Aug 2025 01:26 pm
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