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आयुर्वेद को मिलेगी वैश्विक पहचान, 25 देशों से समझौते, रिसर्च में आई तेजी, केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री ने साक्षात्कार में बताया क्या हुई है प्रगति

Patrika Interview: केंद्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने पत्रिका की वरिष्ठ रिपोर्टर डॉ. मीना कुमारी से विशेष बातचीत में आयुष मंत्रालय की योजनाओं, चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की।

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Prataprao Jadhav interview

केंद्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव और डॉ. मीना कुमारी (Photo: Patrika)

Patrika Interview: केंद्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि कैसे रिसर्च, संस्थागत विस्तार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और डिजिटल नवाचार के जरिए आयुर्वेद को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा रहा है। चाहे बात हो हार्वर्ड जैसे संस्थानों से समझौते की योजना की, या देशभर में एम्स जैसे आयुर्वेद संस्थानों की स्थापना की, उन्होंने ने स्पष्ट किया कि आयुष अब मुख्यधारा की चिकित्सा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन रहा है। उनसे बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत हैं।

सवाल: आयुष दवाओं के साथ सबसे बड़ी समस्या इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता न मिलना है। इसको लेकर मंत्रालय क्या कर रहा है?

जवाब: देखिए, यह बिल्कुल गलत बात है। आयुष में भी बहुत सारी दवाइयों पर बड़े पैमाने पर रिसर्च होता है। आयुष मंत्रालय की एक रिसर्च काउंसिल है। उसके माध्यम से बहुत सारे रिसर्च किए जाते हैं। आयुर्वेद के लिए सीसीआरएस है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के लिए सीआरयूएम है। होम्योपैथी के लिए सीसीआरएएस है। हमारे देश के बड़े काॅलेज और इंस्टीट्यूट में भी रिसर्च सेंटर खुले हैं और रिसर्च को लेकर बहुत बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। सीसीआरएएस की देश में लगभग 50 जगहों पर रिसर्च सेंटर भी हैं।

सवाल: आयुर्वेदिक इलाज के लिए एम्स जैसे संस्थान देशभर में खोलने की दिशा में कितनी प्रगति हुई है?

जवाब: एम्स जैसे 20-22 ऐलोपैथिक एम्स ग्लोबल हॉस्पिटल देश में संचालित हैं। ऐसे ही आयुर्वेद में भी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (आया) दिल्ली के सरिता विहार में खोला गया है। उसका एक सेटेलाइट सेंटर गोवा में भी है। उसके अलावा जयपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा संचालित है। 10 एआईआईए और 18 एनआईए जैसे संस्थानों की योजना बनाई जा रही है।

सवाल: आयुर्वेद को वैश्विक पहचान के लिए क्या हार्वर्ड और ऐसी किसी प्रतिष्ठित विवि के साथ कोई समझौता किया गया है?

जवाब: हमारा प्रयास है कि आयुर्वेद को सभी देशों में मान्यता मिले क्योंकि आयुर्वेद की दवाईयां सभी बीमारियों पर असरदार हैं। बड़ी से बड़ी बीमारियों को ठीक करने के उदारहण भी आयुर्वेद में हैं। यही वजह है कि मंत्रालय हार्वर्ड समेत दुनिया के अन्य संस्थानों के साथ प्रयास कर रहा है। 25 देशों के साथ आयुर्वेद को लेकर एमओयू हुए हैं। बहुत सारे देश अभी आयुर्वेद चेयर हैं। हमारे आयुर्वेद के जो बड़े संस्थान हैं उनके भी 52 देशों के अलग संस्थानों के साथ रिसर्च के लिए एमओयू हुए हैं।

सवाल: अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में आयुर्वेद से संबंधित रिसर्च प्रकाशित हो सकें, इसके लिए क्या किया जा रहा है?

जवाब: सीसीआरएएस, सीसीआरएच, एआईआईए, एनआईए के शोध पत्र वैश्विक ख्याति प्राप्त सूचकांक पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जा रहे हैं। कई शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं। आयुष मंत्रालय की सभी अनुसंधान परिषदों जैसे सीसीआरएएस, सीसीआरएच, सीसीआरयूएम, सीसीआरएस और सीसीआरवाईएन में अनुसंधान गतिविधियां संचालित की जाती हैं। मंत्रालय आयुर्वेद योजना की अनुसंधान और नवाचार योजना के माध्यम से अनुसंधान गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है।

सवाल: जब भी आयुष दवाइयों की बात आती है तो सुनने में आता है कि दवाइयां बहुत महंगी हैं। हकीकत क्या है?

जवाब: आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में कौन गलतफहमियां फैलाता है यह मुझे नहीं मालूम। मैं कहूं कि यदि सभी में सबसे सस्ता इलाज किसमें होता है तो वह आयुर्वेद है। हमारे देश का जो भी ग्रामीण इलाका है, जनजातीय इलाका है या जंगलों के पास रहने वाले ज्यादातर लोग आयुर्वेद ही यूज करते हैं।

सवाल: आयुर्वेदिक डॉक्टर को एलोपैथी की तरह सुविधाएं और वेतन कब मिलेंगे?

जवाब: कई राज्यों में भी केंद्रीय स्तर पर वेतन और भत्ते समान हैं। कुछ राज्य नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

सवाल: क्या आयुष मंत्रालय के पास ऐसी भी योजनाएं हैं कि लोग बीमार ही न पड़े?

जवाब: बिल्कुल। आयुष मंत्रालय का सबसे ज्यादा ध्यान इसी बात पर केंद्रित है कि लोग बीमार ही न पड़ें। पूरा देश स्वस्थ रहे। इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री बार-बार आयुष मंत्रालय का काम आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। कोई बीमार ही न हो, इसके लिए हमें योग करना चाहिए। हम योग को प्रमोट कर रहे हैंं। दुनिया के 170 देश आज योग को अपनाने लगे हैं।

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सवाल: आपने अपने कार्यकाल में ऐसा क्या किया जिसे लोग याद रखें?

जवाब: देखिए, हम काम करते जा रहे हैं। अभी बहुत सारे काम किए जाने हैं। मंत्रालय नया है बहुत सारी चुनौतियां हमारे सामने हैं। पिछले साल जैसे ही मैं इसका मंत्री बना तो हमने दो महीने में ही एक बडी स्कीम लांच की थी, वह थी देश का प्रकृति परीक्षण। जो बीमारियां होती है वे हमारे प्रकृति के ऊपर निर्भर है।