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कुंडी पत्थर से बनी अद्भुत मूर्तियां, किल्लेकोड़ा ने छत्तीसगढ़ में बनाई अपनी अलग पहचान, जानें क्या है खास?

Mahamaya Hill: छत्तीसगढ़ का किल्लेकोड़ा शिल्पग्राम अपने कुंडी पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। गांव के 50 घरों में स्थानीय मूर्तिकार महामाया पहाड़ से लाए गए पत्थर से अनोखी और आकर्षक मूर्तियां बनाते हैं।

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कुंडी पत्थर से बनी अद्भुत मूर्तियां (Photo source- Patrika)

कुंडी पत्थर से बनी अद्भुत मूर्तियां (Photo source- Patrika)

डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम किल्लेकोड़ा को 2006 में शिल्प ग्राम का दर्जा मिला। यह गांव अपनी खास कला, कुंडी पत्थर से बनाई गई आकर्षक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय मूर्तिकार इस पत्थर को तराशकर सुंदर प्रतिमाएं तैयार करते हैं, जिनकी मांग सिर्फ जिले में ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों तक है। लगभग 50 घरों में यह कला परिवार की रोज़गार का साधन बन चुकी है, लेकिन सही सरकारी सहयोग के अभाव में इसका कारोबार पूरी क्षमता तक नहीं बढ़ पाया है।

कुंडी पत्थर और मूर्तिकला की विशेषता

कुंडी पत्थर, जो इस क्षेत्र में मिलता है, उसे तराशकर मूर्तिकार जटिल और सुंदर प्रतिमाएं बनाते हैं। गांव में लगभग 50 घर ऐसे हैं, जिनमें परिवार के सभी सदस्य इस कला में सक्रिय हैं। मूर्तिकारों की बनाई प्रतिमाएं असम, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा सहित कई राज्यों में उपलब्ध हैं।

मूर्तिकार और उनके परिवार

किल्लेकोड़ा के मूर्तिकारों में धनुष, लोकेश कुमार, चन्नू विश्वकर्मा, मन्नू, सुंदर, डोमन, मनोज, जिर्धन, संतराम और मोती राम प्रमुख हैं। उनके पूरे परिवार इस कला से जुड़े हुए हैं और इससे ही अपना जीवन यापन करते हैं।

सरकारी सहयोग से बढ़ सकता है कारोबार

मूर्तिकारों का कहना है कि पत्थर से प्रतिमा बनाने की मांग लगातार बढ़ रही है। (Mahamaya Hill) हालांकि, शासन और प्रशासन की ओर से अधिक सहयोग नहीं मिलने के कारण उनका कारोबार पूरी तरह विकसित नहीं हो पाया। 2006 के बाद से इस गांव के शिल्पकारों के लिए कोई नई पहल नहीं की गई है।

इतिहास में महत्वपूर्ण पल

गांव किल्लेकोड़ा को शिल्पग्राम घोषित करने का ऐतिहासिक पल तब आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह 2006 में यहां आए। मूर्तिकारों की कला देखकर वे काफी प्रभावित हुए और मंच से ही किल्लेकोड़ा को शिल्पग्राम घोषित किया। इस निर्णय के बाद से गांव ने अपनी पहचान बनाना शुरू किया, लेकिन आज भी सही सरकारी मदद और योजनाओं की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

किल्लेकोड़ा शिल्पग्राम केवल एक गांव नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर का प्रतीक है। कुंडी पत्थर की मूर्तियों ने न केवल गांव को पहचान दी है, बल्कि स्थानीय परिवारों की आजीविका का भी आधार बनाया है। प्रशासनिक सहयोग और विपणन की सही दिशा में कदम उठाए जाने पर इस कला का कारोबार और भी व्यापक स्तर तक बढ़ सकता है।