
MP news: पत्रिका के 16 रिपोर्ट्स ने की एमपी के 16 जिलों के सरकारी अस्पतालों की पड़ताल। चौंकाने वाला खुलासा(फोटो: पत्रिका)
MP News: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवायएच इंदौर में चूहों के काटने से दो नवजातों की मौत के बाद जिम्मेदारों को सस्पेंड किया गया। जांच और नोटिस की कार्रवाई भी की। इस बीच गुरुवार को नया खुलासा हुआ। जांच कर रही कमेटी ने साफ कर दिया कि अस्पताल में रोडेंट कमेटी की बरसों से बैठक ही नहीं हुई। ऐसे में चूहों से बचाव की कवायद ही नहीं हो सकी। इंदौर में हुई दो नवजातों की मौत ने प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पत्रिका के 16 रिपोर्टर ने 16 जिलों के सरकारी अस्पतालों की पड़ताल की, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। अधिकांश जगहों पर रोडेंट कमेटी की बैठक नहीं हुई। नतीजा, कहीं चूहों की धमाचौकड़ी चल रही है। कहीं वार्ड और ओपीडी में गाय और कुत्तों ने आशियाना बना रखा है। भोपाल के जिला अस्पताल (जेपी) में कुत्ते घूम रहे हैं।
बुधवार सुबह दो कुत्ते बच्चों के वार्ड के प्रवेश द्वार की तरफ भी दिखे। यहां गार्ड भी नहीं था। छतरपुर जिला अस्पताल के प्रसूता वार्ड में मरीजों के टेबल में ही चूहे पैदा हो रहे हैं। यहां भी नवजातों की सुरक्षा ताक पर है। 16 जिलों में व्यवस्था को कुतर रहे लापरवाही के चूहों पर पत्रिका की विशेष रिपोर्ट…।
छतरपुर. छतरपुर जिला अस्पताल के प्रसूता वार्ड में चूहों और कॉकरोच का आतंक बढ़ रहा है। दो दिन की सफाई और पेस्ट कंट्रोल अभियान के बाद भी गुरुवार को वार्ड में मरीजों के लॉकर व कोनों में चूहे जन्म लेते दिखे। बेड पर कॉकरोच भी घूम रहे हैं। दरअसल, इंदौर में चूहों के काटने से नवजातों की मौत के बाद छतरपुर जिला अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया। दवाइयां डालकर चूहों को भगाने का अभियान चलाया, पर असर अल्पकालिक ही रहा। चूहे वार्ड में कजा जमाए बैठे हैं।
अस्पताल की दूसरी मंजिल पर प्रसूता वार्ड में लॉकरों और दीवारों की दरारों में चूहों ने बिल बना लिए हैं। स्टाफ का कहना है, रोज चूहों के बच्चे पैदा हो रहे हैं। नवजात-माओं की सेहत को खतरा बना हुआ है। कॉकरोच भी फैल रहे हैं।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में चूहों के 90 से अधिक बिल मिले हैं। चूहों ने बिल्डिंग को खोखला कर दिया है। इससे महिलाएं, बच्चों सहित संवेदनशील वार्डों में खतरा मंडरा रहा है। अभी चूहे ऑपरेशन थियेटर की मशीनों के वायर कुतर रहे हैं। बताते हैं, नियंत्रण नहीं किया तो यहां भी इंदौर जैसी घटना संभव है। हालांकि प्रबंधन ने गुरुवार को 60 माउस ट्रैप लगाए हैं।
2023 में जिला अस्पताल की मॉच्र्यूरी में दो शव की आंखें चूहों ने कुतर दी थीं। पीएम हाउस में हुई घटना के बाद प्रबंधन ने भवन के जीर्णोंद्धार पर क्र4 लाख खर्च किए।
बिल से निकलकर झांकते हुए चूहे की तस्वीर जिला अस्पताल में एसएनसीयू के नीचे वाली दीवार में देखी जा सकती है। उपरी मंजिल पर एसएनसीयू है, नीचे वार्ड में महिलाओं को भर्ती किया जाता है। इस वार्ड की दीवार चूहों का घर है। यहां भोजन बिखरा रहता है। दीवार के आसपास बिलों से निकलकर चूहे भागदौड़ करते हैं। यहां भी बच्चों को खतरा है।
मंदसौर: जिला अस्पताल में वार्ड से अधिक चूहों के बिल इंदौर की घटना से मंदसौर जिला अस्पताल सबक लेने को तैयार नहीं है। यहां आलम यह है कि अस्पताल में जितने वार्ड हैं, उससे ज्यादा चूहों के बिल हैं। पीडियाट्रिक, गायनिक आदि वार्ड में चूहों की धमाचौकड़ी मरीजों को परेशान कर रही है। इतना ही नहीं, महिला वार्ड के बरामदे में बिना बारिश छतों से पानी टपक रहा है। शिशु वार्ड, बाल्य चिकित्सा गहन इकाई में ही चूहों ने बिल बना दिए हैं। सीएस डॉ. बीएल रावत का कहना है, पेस्ट कंट्रोल करा रहे हैं।
इंदौर जिले की महू तहसील में मध्यभारत अस्पताल में कुत्ते बेखौफ घूम रहे हैं। बुधवार शाम भी दवा केंद्र के बाहर कुत्ते आराम फरमाता नजर आया। महज दो माह पहले ही अस्पताल के शौचालय में एक नाबालिग ने मृत बच्चे को जन्म दिया था। तब कुत्ते नवजात का शव मुंह में दबाकर अस्पताल में घूमने लगा था। ऐसी अव्यवस्था से मरीज दहशत में हैं।
इंदौर. एमवायएच प्रबंधन की लापरवाही का बड़ा खुलासा हुआ। सभी सरकारी अस्पतालों में चूहे, गिलहरी से बचाव को बनी रोडेंट कमेटी की बैठकें नहीं हुईं। ऐसे में बचाव कैसे होता। ये खुलासा कमेटी की रिपोर्ट से हुआ है। हर माह बैठक होनी थी। रिपोर्ट के आधार पर डॉ. मनोज जोशी को सस्पेंड कर कंपनी का अनुबंध समाप्त किया। पीडियाट्रिक यूनिट प्रभारी डॉ. ब्रजेश लाहोटी को भी हटाया।
दमोह जिला अस्पताल में मरीजों को चूहे, कॉकरोच परेशान कर रहे हैं। चूहों का आतंक ऐसा रहा कि सेंट्रलाइज एसी की वायङ्क्षरग कुतर दी। वार्डों के टॉयलेट में कॉकरोच हैं। मरीज डर से टॉयलेट उपयोग नहीं कर पा रहे।
रतलाम. जिला अस्पताल में ऑपरेशन रेट किल के तहत चूहों के बिल में एल्यूमिनियम सल्फेट की टैबलेट डाली जा रही है। चूहे बिल में ही मर रहे हैं, पर कुछ पर दवा का असर नहीं पड़ रहा।
शिवपुरी. जिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताएं और बच्चों पर संक्रमण की तलवार अटकी है। बच्चा वार्ड में कॉकरोच का आतंक है। ड्यूटी नर्स प्रिया गायकवाड़ का कहना है, वार्डों में दीवारों पर घूम रहे कॉकरोच बच्चों के पलंग तक पहुंच जाते हैं। चूहे भी पलंगों पर बिछाए चादर-गद्दे काट रहे हैं। प्रसूता वार्ड की दीवारों से प्लास्टर पूरी तरह झड़ चुका है। सीलन के बीच महिलाएं इलाज कराने को मजबूर हैं।
श्योपुर. जिला अस्पताल के जनरल वार्ड में मरीजों के पलंग के नीचे कचरा मिला। वार्ड की गैलरी और बरामदे में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। इससे मरीज और परिजन दुर्गंध से परेशान हैं। चरक अस्पताल में वार्ड में कॉकरोच, बेड पर चादर नहीं: उज्जैन के शासकीय जिला अस्पताल चरक भवन में पेस्ट कंट्रोल के दावे किए जा रहे हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि यहां चूहों की समस्या नहीं है। लेकिन यहां अफसरों की लापरवाही सुविधाओं को कुतर रही हैं। 500 से अधिक बेड वाले इस अस्पताल में मरीजों को साफ बेड नहीं मिल रहे। फटे गद्दे पर ही सोना पड़ रहा है।
वार्ड में कॉकरोच घूम रहे हैं और परिजनों को संक्रमण का डर सता रहा है। शिशु वार्ड में भी ऐसी ही स्थिति है। निशा चौरसिया ने बताया, पीलिया होने पर बेटे को भर्ती किया है। बिस्तर के पास ही तीन-चार कॉकरोच थे।
दतिया. जिला अस्पताल के प्रसूति केंद्र में अव्यवस्थाएं हैं। पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड-1 में भर्ती गर्भवतियों के शौचालय को प्रबंधन ने कचरा घर बना दिया है। बड़े-बड़े डस्टबिन रखकर गंदगी डाली जा रही है। शिशु वार्ड के शौचालय का गेट भी टूटा है।
मुरैना. 600 बेड के जिला अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग की हालत खस्ताहाल है। मेडिकल और सर्जिकल वार्डों में बेड फुल हो गए हैं। ऐसे में गैलरी में भर्ती कर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। लेकिन यहां भी सिर पर खतरा मंडरा रहा है। छत का प्लास्टर गिर रहा है। रात में नई व पुरानी बिल्डिंग में आए दिन कुत्ते वार्डों और बरामदे में घुस रहे हैं।
कटनी. जिला अस्पताल की ओपीडी में कुत्ते घूम रहे हैं। अव्यवस्था ऐसी है कि रात में आवारा मवेशी भी घुस जाते हैं। वार्ड के बाहर गैलरी में भी मवेशी कई बार पहुंच चुके हैं।
Published on:
12 Sept 2025 10:32 am
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