
ग्राफिक्स फोटो पत्रिका
Raksha Bandhan 2025 : जयपुर में रक्षाबंधन पर घर जाने वाले यात्रियों को ट्रेन और बस दोनों में सफर करने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। ट्रेन में जहां यात्रियों को रक्षाबंधन पर कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा। ज्यादातर ट्रेनों के एसी कोच में रिग्रेट (सीट उपलब्ध नहीं), नॉन-एसी में यात्रियों को जगह नहीं मिली। वहीं, बसों में सफर यात्रियों की जेब पर भारी पड़ गया। निजी बसों में त्योहार पर किराया बढ़ा दिया।
रक्षाबंधन पर घर जाने वाले यात्रियों से निजी बस संचालकों ने मनमाना किराया वसूला। परिवहन विभाग ने हाल ही बसों के किराए में 30 फीसदी तक बढ़ोतरी की छूट दी थी। इसी छूट को आधार बनाकर बस संचालकों ने यात्रियों से 50 फीसदी तक अधिक किराया लिया। इससे यात्रियों की जेब पर भार पड़ा। शुक्रवार को वीकेंड की शुरुआत होने के साथ ही सिंधी कैंप बस स्टैंड पर यात्रियों की भीड़ आ गई। यात्रीभार बढ़ने पर रोडवज ने सौ अतिरिक्त बसें लगाईं, लेकिन वे भी पर्याप्त नहीं रहीं। बसों में सीट को लेकर मारामारी रही। ऐसे में यात्रियों को मजबूरन निजी बसों में सफर करना पड़ा।
रोडवेज बसों की किल्लत और बसों में भीड़ बढ़ने का फायदा लोकपरिवहन सेवा की बसों ने उठाया। यात्रियों से बिना टिकट ही 150 से 200 रुपए की यात्रा के 300 से 400 रुपए तक वसूले गए। यात्रियों की ओर से विरोध करने पर किराया बढ़ने का हवाला दिया गया। शहर के सिंधी कैंप के बाहर, दुर्गापुरा, ट्रांसपोर्ट नगर, दिल्ली रोड स्थित बजरी मंडी पर यात्रियों से वसूली की गई। इधर, रक्षाबंधन देखते हुए रोडवेज की वोल्वो बसें फुल रहीं। जयपुर से दिल्ली, जोधपुर, उदयपुर सहित कई शहरोें के लिए चलने वाली वोल्वो बसों में जगह नहीं मिली। रोडवेज ने इन शहरों के लिए अतिरिक्त वोल्वो बसें चलाईं। त्योहारी सीजन में यात्रियों से निजी बस संचालकों की ओर से हर बार अधिक किराए की वसूली की जाती है। इसके बाद भी त्योहार से पहले परिवहन विभाग की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जाते।
राखी पर यात्रियों के लिए इस बार रेल सफर किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं रहा। जयपुर से संचालित होने वाली लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनों में ‘नो रूम’ की स्थिति मिली, जबकि जनरल और स्लीपर कोच में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। शुक्रवार को जयपुर जंक्शन पर ऐसा ही हाल रहा। इसके बावजूद रेलवे ने भीड़ संभालने के लिए ठोस इंतजाम नहीं किए। त्योहार स्पेशल ट्रेनों की संख्या सीमित रही, जिससे नियमित ट्रेनों पर दबाव कई गुना बढ़ गया। रिजर्वेशन कोच में ‘नो रूम’ और तत्काल कोटे में निराशा ने यात्रियों को जनरल-स्लीपर डिब्बों में भीड़ के बीच सफर करने को मजबूर कर दिया।
इस बार अतिरिक्त यात्रीभार के नाम पर अधिकतर ट्रेनों में अस्थायी रूप से एसी कोच जोड़े गए, लेकिन जनरल और स्लीपर कोच केवल कुछेक ट्रेनों में ही बढ़ाए गए। नतीजतन नॉन-एसी यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गईं। जयपुर-दिल्ली, आगरा, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, इंदौर, कोटा, सूरत जैसे रूट्स पर हालात खराब रहे। शुक्रवार को जयपुर जंक्शन से संचालित कई ट्रेनों में दरवाजों के पास, गलियारों में और यहां तक कि लगेज रैक तक पर यात्री बैठे दिखाई दिए। भीड़ का सर्वाधिक खमियाजा बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को उठाना पड़ा। लंबे सफर में खड़े रहना, धक्का-मुक्की और वेंटिलेशन की कमी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी।
यात्रियों का कहना है कि रेलवे को त्योहारों पर भीड़ का अंदाजा पहले से होता है, फिर भी हर साल लापरवाही बरती जाती है। अधिक संख्या में केवल एसी कोच जोड़ना, नॉन-एसी यात्रियों के साथ अन्याय है। उनका मानना है कि समय रहते रूटवार मांग का आकलन कर पर्याप्त जनरल और स्लीपर कोच बढ़ाने चाहिए। साथ ही ज्यादा यात्रीभार वाले रूट्स पर अधिक स्पेशल ट्रेनें चलानी चाहिए। वहीं, रेलवे प्रशासन का कहना है कि ट्रैक क्षमता और समय सारिणी के कारण ज्यादा ट्रेनें चलाना आसान नहीं है। जरूरत के अनुसार हर कैटेगरी के कोच जोड़े हैं और स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा गई हैं।
Published on:
09 Aug 2025 10:51 am
बड़ी खबरें
View AllPatrika Special News
ट्रेंडिंग
