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इन चीजों का दान करने से प्रसन्न होते हैं शिव और शनि, बिन मांगे मिलता है सब कुछ

हर सक्षम व्यक्ति को सूर्य संक्रांति, सूर्य व चंद्र ग्रहण, अधिक मास व कार्तिक शुक्ल द्वादशी को अन्न व जल का दान अवश्य करना चाहिए।

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Sunil Sharma

Feb 17, 2018

how to worship shiva

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जीवन में कई बार ग्रह हमारे पक्ष में नहीं होते और बनते काम भी बिगडऩे लगते हैं। ग्रहों की अनुकूलता पाने के लिए उनसे संबंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा के अलावा दान करना भी एक उपाय माना जाता है। वराह पुराण के अनुसार सभी दानों में अन्न व जल का दान सर्वश्रेष्ठ है। हर सक्षम व्यक्ति को सूर्य संक्रांति, सूर्य व चंद्र ग्रहण, अधिक मास व कार्तिक शुक्ल द्वादशी को अन्न व जल का दान अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष में मूल रूप से नव ग्रहों की विभिन्न प्रकृति होती है।

हर ग्रह का एक मूल स्वभाव है और उसी अनुरूप दान करना चाहिए। सूर्य देव उपवास, कथा श्रवण व नमक के परित्याग से, चंद्र भगवान शिव के मंत्रों के जाप से, मंगल ग्रह उपवास के अलावा मंत्रजाप से, तो बुध ग्रह गणपति की आराधना के साथ दान से सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं। देव गुरु सात्विक रूप से उपवास रखने मात्र से प्रसन्न होते हैं।

दैत्य गुरु शुक्र गौ सेवा और दान व कन्याओं को उपहार देने से प्रसन्न होते हैं। न्याय के देवता शनि महाराज को मनाने के लिए जप, तप, उपवास व दान के अलावा शुद्ध व सात्विक जीवन शैली होनी चाहिए। छाया ग्रह राहुकेतु जाप के साथ दान से ही प्रसन्न होते हैं। दान के समय जातक को प्रसन्न मन और आनंद के साथ व्यवहार करना चाहिए।

ग्रहों के दान योग्य पदार्थ
सूर्य : लाल चंदन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, घी व केसर का दान देना लाभप्रद होता है।
चंद्रमा : चांदी, चावल, सफेद चंदन, शंख, कर्पूर, दही, मिश्री आदि का दान संध्या के समय में फलदाई है।
मंगल : गुड़, घी, लाल वस्त्र, कस्तूरी, केसर, मसूर की दाल, मूंगा, तांबे के बर्तन आदि का दान सूर्यास्त से पौन घंटे पूर्व करना चाहिए।
बुध : कांसे का पात्र, मूंग, फल आदि का दान करें।
गुरु : चने की दाल, धार्मिक पुस्तकें, पीले वस्त्र, हल्दी, केसर, पीले फल आदि का दान करना चाहिए।
शुक्र : चावल, मिश्री, दूध, दही, इत्र, सफेद चंदन आदि का दान सूर्योदय के समय करें।
शनि : लोहा, उड़द की दाल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, जूते का दान करना चाहिए।
राहु : तिल, सरसों, सप्तधान्य, लोहे का चाकू व छिलनी, सीसा, कम्बल, पशु, नीला वस्त्र, गोमेद आदि वस्तुओं का दान रात्रि समय में करना चाहिए।
केतु : लोहा, तिल, सप्तधान, तेल, दो रंगे या चितकबरे कम्बल या अन्य वस्त्र, शस्त्र, लहसुनिया व बहुमूल्य धातुओं में स्वर्ण का दान निशाकाल में करना चाहिए।


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