
जाति व्यवस्था पर बोले मोहन भागवत, स्वयंसेवक ही करते हैं सबसे अंतरजातीय विवाह
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश में इस समय जातीय अव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि कभी जातीय व्यवस्था रही होगी, लेकिन अब हालात ऐसे नहीं हैं। दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि जातीय समरसता कायम करने के लिए अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह जरूरी हैं। भागवत ने यह भी कहा कि अगर देश में अंतरजातीय विवाह को लेकर कोई सर्वे किया जाए, तो इस तरह के विवाहों के सबसे ज्यादा उदाहरण स्वयंसेवकों में ही मिलेंगे। संघ प्रमुख ने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि समाज जातियों में न विभाजित हो।
गौरक्षकों की तुलना गौतस्करों से करना गलत
संघ प्रमुख ने कहा कि हमें आज ऐसे वातावरण की जरूरत है, जिसमें महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्होंने गाय को लेकर सामने आ रहे हिंसक घटनाओं पर बोलते हुए कहा कि किसी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। हालांकि उन्होंने गौरक्षकों की तुलना गौतस्करों से करना गलत बताया है। इसके अलावा उन्होंने गलत तरीके से धर्मांतरण कराने की बात को भी गलत ठहराया। संघ प्रमुख में जम्मू— और कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 और 35-ए पर भी असहमति जताई।
अंग्रेजी भाषा से दुश्मनी करने की कोई जरूरत नहीं
संघ प्रमुख ने हिंदी भाषा पर विचार रखते हुए कहा कि लोगों को स्थानीय भाषा को महत्व देने के लिए अंग्रेजी भाषा से दुश्मनी करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की श्रेष्ठता का विचार सिर्फ उनके दिमाग में है। यहां विज्ञान भवन में 'भविष्य का भारत : आरएसएस का एक दृष्टिकोण' सम्मेलन के अंतिम दिन एक प्रश्न के जवाब में भागवत ने कहा कि दैनिक कार्यो में अंग्रेजी का वर्चस्व नहीं है, इसका वर्चस्व हमारे दिमाग में है। हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान करना शुरू करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी भाषा में प्रवीणता लानी चाहिए। हमें किसी भाषा से दुश्मनी करने की जरूरत नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि लोगों को अंग्रेजी भाषा को त्यागने की जरूरत नहीं है, बल्कि दिमाग में जो इसका पागलपन भरा है, उसे मिटाने की जरूरत है।
Updated on:
21 Sept 2018 08:10 am
Published on:
21 Sept 2018 08:00 am
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