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अखिलेश यादव लीड करेंगे यूपी में महागठबंधन तो क्या बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का इलाज चल रहा है। वहीं पर दोनों नेताओं के बीच एक बंद कमरे में करीब 1 घंटे तक बात चली। इसके बाद दोनों बाहर आए तब नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि यूपी में अखिलेश यादव ही गठबंधन को लीड करेंगे।

लखनऊSep 08, 2022 / 01:47 pm

Anand Shukla

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मेदांता अस्पताल में मुलाकात की

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर आरजेडी से हाथ मिलाकर फिर सरकार बना ली है। सरकार बनाने के बाद नीतीश की नजर पर दिल्ली पर है. इसके लिए वह अभी से 2024 के चुनाव की तैयारी में लग गए हैं । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली आ करके राज्य में मजबूत क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात की । 2024 के लोकसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के विरोधी सभी दलों को एक करने में जुट गए हैं और एक महागठबंधन बनाने की बात कर रहे हैं ।
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बीजेपी को टक्कर देने के लिए मजबूत गठबंधन बनाने की तैयारी
नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए एक मजबूत विपक्ष बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। विपक्ष को एकडुट करने के लिए नीतीश कुमार विपक्षी नेताओं में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम सीताराम येचुरी, डी. राजा, और ओमप्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की ।
इसके बाद वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने के लिए गुरूग्राम के मदांता अस्पताल पहुंचे । जहां पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भर्ती है, हांलाकि दोनों नेताओं ने इस मुलाकात को शिष्टाचार बताया, लेकिन नीतीश कुमार का अखिलेश यादव से मिलना शिष्टाचार कम सियासी ज्यादा है।
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यूपी में अखिलेश यादव लीड करेंगे महागठबंधन
गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में बंद कमरे में दोनों नेताओं की करीब 1 घंटे तक मुलाकात हुई. जब बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात करने के बाद कमरे से बाहर आए तब उन्होंने कहा यूपी में अखिलेश यादव की महागठबंधन को लीड करेंगे, फिरहॉल अभी तक अखिलेश यादव का इस पर कोई जबाब नहीं आया है ।
महाठबंधन में बसपा के लिए नो एंट्री
नीतीश कुमार के इस बयान के बाद से साफ हो गया है कि बसपा के लिए इस महागठबंधन में दरवाजा बंद हो गया है। वहीं बसपा ने अभी तक इस मसले में अपना पत्ता नहीं खोला है। बसपा सुप्रीमों मायावती का बयान आना बाकी है। राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता है कि इस महागठबंधन में बसपा के लिए रास्ता बंद हो गया है। इस पहले भी कहा जा रहा था कि यूपी में सपा और बसपा एक साथ नहीं आएंगे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों नेताओं ने मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा।
सपा ही यूपी में मजबूत विपक्ष का चेहरा है । आने वाले लोकसभा चुनाव में सपा ही बीजेपी को टक्कर दे सकती है। वह बात अलग है कि इस समय सपा के मुकाबले बसपा के ज्यादा सांसद हैं लेकिन तब दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था । इस समय की बात की जाए तो बसपा एक दम चुपचाप बैठी है वहीं सपा विपक्ष की भूमिका मे है। सपा यूपी के हर मुद्दे पर बीजेपी को जबरदस्त घेरते हुए नजर आ रही है।
राजनीति में ना कोई परमानेंट दोस्त ना दुश्मन
सभी राजनीतिक पार्टियां अपने अपने सहुलियत के हिसाब गठ जोड़ करती है। राजनीति में कोई किसी का ना तो परमानेंट दोस्त होता है और ना ही दुश्मन । अगर वहीं बात की जाए तो कौन कहता था कि नीतीश कुमार और लालू यादव कभी एक साथ जाएंगे लेकिन दोनों नेताओं ने एक साथ जाकरके चुनाव लड़ा. और जीत भी दर्ज की. हां वह बात अलग है कि कुछ दिनों के बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया । नीतीश कुमार दोबार बीजेपी के साथ चले गए.हालाकि अब वह बीजेपी से अलग होकर राजद के साथ गए हैं। इस बार वह दिल्ली की तरफ देंख रहे हैं ।
इसी ही देखते हुए कुछ कहा नहीं जा सकता है कि सपा और बसपा कभी एक साथ नहीं आएंगे. हो सकता है कि 2024 में बनने वाला महागठबंधन में बसपा भी साथ आ जाएं लेकिन अभी केवल नीतीश कुमार महागठबंधन बनाने की पहल कर रहे हैं। 2024 के चुनाव में बीजेपी को टक्कर देने के लिए महागठबंधन बन पाता कि नहीं। यह आने वाला समय ही बताएगा।
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यूपी की पॉलिटिक्स में नीतीश कुमार फिट बैठेंगे
यूपी और बिहार में राजनीति जाति को देखते हुए होती है। उत्तर प्रदेश में कुर्मी और कोइरी जातियों की तादाद काफी ज्यादा है। चाहे अनुप्रिया पटेल हों या पल्लवी पटेल. दोनों ने कुर्मी वोटों के आधार पर ही उत्तर प्रदेश की सियासत ने जगह बनाई है।
ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यूपी की राजनीति में फिट बैंठ रहे हैं क्यों कि वह कुर्मी जाति से ही आते हैं । नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश में अपने लिए एक उम्मीद की किरण नजर आती है कि अगर विपक्ष की तरफ से उनके नाम का ऐलान कर दिया जाए । तो कुर्मी और कोइरी जाति का एक मतदाता वर्ग उनके साथ खड़ा हो सकता है। जो फिलहाल बीजेपी का वोटर है।
अखिलेश यादव के ऊपर यह इल्जाम लगता रहा है कि वह केवल मुस्लिम और यादव के लिए काम करते हैं। अखिलेश यादव को भी एक ऐसे नेता जरूरत है जो यादव के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता को उनके पाले में ला सके। फिरहाल अखिलेश यादव के साथ पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे दो चेहरे हैं। जिनके दम पर समाजवादी पार्टी गैर यादव ओबीसी वर्ग में अपनी राजनीति साध रही है। अगर नीतीश कुमार आगे आते हैं, तो उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति में एक नई सुगबुगाहट की शुरुआत हो सकती है ।

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