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Assembly Elections 2022 : बागी भाजपाइयों पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, चुनाव में पार्टी ने टिकट को लेकर बदली रणनीति!

Published: Aug 02, 2021 09:22:10 am

वर्ष 2022 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस अन्य दलों के ‘निडर’ नेताओं पर चल सकती है बड़ा दांव, राहुल गांधी के बयान के बाद नई रणनीति को मिली हवा

Rahul Gandhi

Congress MP Rahul Gandhi

नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों ( Five State Assembly Election 2022 ) में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने अभी से कमर कस ली है। फिर चाहे वो भारतीय जनता पार्टी ( BJP )हो या फिर कांग्रेस ( Congress )। अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए चुनावी रणनीति पर काम हो रहा है। कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों से चुनावों में प्रदर्शन को लेकर निराश है, लेकिन लगातार नई रणनीतियों पर काम कर रही है, ताकि प्रदर्शन में सुधार के साथ बीजेपी के जीत के रथ को रोका जा सके।
पिछले कुछ समय में कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी या अन्य पार्टियों को दामन थामा है। लेकिन कांग्रेस इससे परेशान होने की बजाय इस तरह की स्थितियों से निपटने में जुटी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने अपना फोकस बीजेपी के बागी नेताओं ( Rebel leaders ) पर लगाया है। आगामी चुनाव में बीजेपी के ऐसे ही बागी नेताओं को पार्टी में शामिल कर टिकट देने पर भी विचार किया जा रहा है।
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इसलिए इस रणनीति को मिली हवा
दरअसल कांग्रेस ने बीजेपी के बागी विधायकों पर दांव लगाने में जुटी है। इस बात तब और हवा मिली जब कांग्रेस सांसद और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से एक बयान दिया। राहुल ने कहा- जो डरते हैं, वो कांग्रेस छोड़कर चले जाएं। दूसरी पार्टियों में जो निडर नेता है, उन्हें पार्टी में शामिल करें।
राहुल का सीधा इशारा बीजेपी की तरफ था। क्योंकि पार्टी के ज्यादातर नेताओं ने बीजेपी का ही दामन थामा है।
करीब दो सप्ताह पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का यह वाक्य सिर्फ बयान नहीं था, बल्कि पार्टी की बदलती रणनीति का संकेत है। यही रणनीति की बुनियाद होगी।
पार्टी नेताओं में भर रही ऊर्जी
कांग्रेस एक तरफ अन्य दलों के बागी नेताओं पर फोकस कर रही है साथ ही दूसरी तरफ अपनी पार्टी के युवाओं समेत अन्य नेताओं में ऊर्जी भरने का भी काम कर रही है। इसके लिए समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी नेताओं से रूबरू होकर उनमें जोश भरने की कोशिश की जाती है।
‘निडर’ दावेदारों पर दांव
राहुल गांधी के इस बयान के बाद ये माना जा रहा है कि कांग्रेस इस रणनीति पर अमल करते हुए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में ‘निडर’ दावेदारों पर दांव लगाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस आगामी चुनाव में बीजेपी के बागी नेताओं के साथ-साथ नए और युवा उम्मीदवारों पर भी फोकस करेगी। इसका मकसद पार्टी में नए लोगों के साथ नई ऊर्जा को जोड़ा जा सके। दरअसल पिछले कई चुनावों में बुरे प्रदर्शन के कारण कई नेताओं और कार्यकर्ताओं में निराशा है, ऐसे में नए लोगों को जोड़कर पार्टी एक बार फिर नए संचार की कोशिश में जुटी है।
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नेताओं के पार्टी छोड़ने से गलत संकेत
पिछले कुछ महीनों में कई नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर अन्य पार्टियों का दामन थामा है। इनमें ज्योतिरादित्य और जतिन प्रसाद जैसे बड़े और भरोसेमंद चेहरे भी शामिल हैं।
नेताओं के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी की किरकरी हुई है। इससे यह संकेत गया कि पार्टी नेतृत्व सभी को साथ रखने में विफल रहा है।

यही नहीं पार्टी में नए चेहरों का अभाव होने की वजह से मजबूरन पुराने चेहरों पर ही दांव लगाना पड़ता है। इसका नतीजा भी पार्टी को कई बार हार के तौर पर ही देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब पार्टी की रणनीति में बदलाव देखा जा सकता है। खास तौर पर बागी नेताओं जिन्हें कांग्रेस निडर नेताओं का नाम दे रही है उन पर दांव संभव है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने दूसरे दलों से आने वाले नेताओं के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। अन्य दलों से आए नेताओं को उनके कदम के मुताबिक पार्टी संगठन में अहम पद भी दिए जा सकते हैं।
ये काम कांग्रेस पहले से ही करती आ रही है। इनमें महाराष्ट्र के नाना पटोले, पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और रेवंत रेड्डी प्रमुख रूप से शामिल हैं।

पंजाब छोड़कर सभी राज्यों में नेताओं ने बदले दल
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक मौजूदा समय में ये मानना होगा कि बीजेपी के सितारे बुलंद हैं। सभी दलों से नेता बीजेपी के जीत के रथ पर सवार होने के लिए पार्टी में शामिल होना चाहते हैं। लेकिन इस बीच कोई बीजेपी छोड़ने का मन बनाता है तो उसके साहस को मानना पड़ेगा। उसे निडर नेता कहा जा सकता है।
कांग्रेस ऐसे ही निडर लोगों का सम्मान करती है और उन्हें पार्टी में जगह देने के लिए तैयार है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब को छोड़कर सभी प्रदेशों में विधायक और नेता इधर-उधर हुए हैं। ऐसे में पार्टी के पास नए लोगों को शामिल करने के लिए काफी जगह है।
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