
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। दिल्ली में महागठबंधन में शामिल रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी, बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश साहनी की प्रशांत किशोर के साथ बैठक के बाद इस चर्चा को बल मिला है।
इस बैठक के बाद से सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आरजेडी माइनस महागठबंधन को लेकर नया मोर्चा बना सकते हैं।
बैठक के बाद रालोसपा और हम (एस) के नेता ने मीडिया को बताया कि प्रशांत किशोर को सीधे तौर पर उनके साथ जुड़ेंगे या नहीं इस बारे में दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन महागठबंधन के लोगों ने प्रशांत किशोर से मदद लेने की कोशिश जरूर की है। इन नेताओं ने बताया कि पीके जेडीयू की अंदरुनी और बाहरी राजनीति को बहुत करीब जानते हैं।
वहीं रालोसपा के एक नेता ने बताया कि हमारे नेता उपेंद्र कुशवाहा प्रशांत किशोर को लेकर गर्मजोशी से भरे हुए हैं। उन्होंने ट्वीटकर बताया कि हम एक मजबूत गठबंधन चाहते हैं। उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस इस दिशा में सक्रियता के साथ् कदम आगे बढ़ेएगी। रालोसपा नेता ने यह भी कहा कि हालांकि शुरुआती विचार सभी गैर-एनडीए दलों को एक साथ आने का था, लेकिन यदि आरजेडी अपनी जिद्द ( तेजस्वी को सीएम बनाने की मांग ) पर अड़ी रही तो नए फॉर्मूले पर विचार किया जा सकता है।
हम पार्टी की ओर से बताया गया है कि प्रशांत किशोर के साथ जीतनराम मांझी की यह दूसरी बैठक थी। मांझी के करीबी एक व्यक्ति ने बताया कोई व्यक्ति और विचार जो एनडीए को हराने में मदद कर सकता है इस महागठब्ंध में स्वागत है। हम और वीआईपी ने 2020 के विधानसभा चुनाव के नेतृत्व के लिए वरिष्ठ सांसद शरद यादव को आगे लाने की बात कही लेकिन इस पर उन्हें आरजेडी के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा।
हालांकि शरद यादव ने स्पष्ट किया है कि वह राज्य के सीएम की दौड़ में नहीं थे और अकेले तेजस्वी हैं जो गठबंधन का नेतृत्व करें।
दूसरी तरफ आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें चुनाव जीतने के लिए इवेंट मैनेजरों की आवश्यकता नहीं है। दूसरों को दबाव की रणनीति खेलने दें। हम रुख साफ है। आरजेडी चाहती है कि बिहार में विपक्षी राजनीति को सभी मिलकर तेजस्वी के नेतृत्व में आगे बढ़ाएं।
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वहीं प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह किसी भी राजनीतिक पार्टी या गठबंधन के साथ नहीं जाएंगे लेकिन महागठबंधन के घटक दलों के साथ उनकी बैठक एक नया संकेत दे रही है। किशोर का लक्ष्य 100 दिनों में एक करोड़ युवाओं को जोड़ने का है। उन्होंने कहा कि 27 फरवरी को कन्हैया कुमार की रैली से विपक्ष राजनीति को एक नई दिशा मिलने की संभावना है। हम अपनी रणनीतियों का खुलासा कन्हैया रैली के बाद करेंगे।
Updated on:
21 Feb 2020 01:19 pm
Published on:
21 Feb 2020 01:15 pm
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