
MP Political Crisis: कांग्रेस में इस्तीफों का सिलसिला जारी, 22 विधायकों ने छोड़ा कमलनाथ का साथ
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी कांग्रेस को महंगी पड़ी है। कांग्रेस से बगावती तेवर अख्तियार कर चुके ज्योतिरादित्य ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। ज्योतिरादित्य के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार का गिरना तय माना जा रहा है।
कांग्रेस से नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय मंत्री अमित शाह भी रहे।
सिंधिया के इस्तीफे के बाद उनके खेमे के 20 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफे दे दिए हैं। इन 22 विधायकों में पांच कमल नाथ सरकार में मंत्री हैं। इन मंत्रियों ने मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज दिए हैं। अपको बता दें कि ये विधायक कर्नाटक में हैं और वहीं से बाकायदा एक तस्वीर भी जारी की गई है। कांग्रेस के बिसाहू लाल सिंह ने विधायक पद के साथ कांग्रेस पार्टी भी छोड़ दी है। बिसाहू भाजपा में शामिल हो गए हैं।
इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला, बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजीव कुशवाहा भी भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले अपनी गाड़ी से गुजरात भवन गए, वहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह उनका इंतजार कर रहे थे, इसके बाद शाह और सिंधिया एक ही गाड़ी में 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित पीएम आवास पहुंचे। तीनों नेताओं के बीच यह बैठक लगभग एक घंटे तक चली। प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद ज्योतिरादित्य अमित शाह की गाड़ी में बैठकर ही पीएम आवास से बाहर निकले।
भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि अगले दो-तीन दोनों में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस के बागी विधायक विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज सकते हैं।
ऐसे विधायकों की संख्या 20 हो सकती है। यानी अगर ऐसा होता है तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी और इसके बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने के साथ ही उनके कुछ समर्थक विधायकों को मंत्री पद भी दिया जा सकता है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जबकि सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 115 है। कांग्रेस को चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है। वहीं भाजपा के पास 107 विधायक हैं।
Updated on:
11 Mar 2020 08:02 am
Published on:
10 Mar 2020 11:04 am
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